मुस्लिम देश ही ठुकरा रहे हैं रोहिंग्या मुसलमानों को?

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मलेशिया से ठुकराए जाने के बाद म्यांमार में प्रताड़ना झेलने वाले करीब 500 रोहिंग्या समुद्र में फंसे थे।

 

इनमें से एक नाव पर सवार 29 लोगों को बांग्लादेश ने भासन चार द्वीप पर भेज दिया है, जहां बाढ़ आने का खतरा रहता है।

 

बांग्लादेश सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि 29 रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को भासन चार द्वीप पर भेज दिया गया है। बांग्लादेश तटरक्षक दल के एक जहाज ने एक नाव पर सवार करीब 500 रोहिंग्याओं को बचाया था।

 

ये सभी मलेशिया जाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मलेशिया ने कोरोना वायरस के चलते अपनी जलसीमा पर पेट्रोलिंग सख्त कर दी जिसकी वजह से ये वहां प्रवेश नहीं कर सके।

 

करीब 58 दिन समुद्र में भटकने के बाद बांग्लादेश के तटरक्षक दल ने इन्हें बचाया। इस नाव पर सवार 28 लोगों की मौत हो गई जिन्हें जिंदा लोगों ने समुद्र में फेंक दिया।

 

बांग्लादेश शरणार्थी सहायता आयोग के अध्यक्ष महबूब आलम तालुकदार ने बताया,” द्वीप पर भेजे गए इन शरणार्थियों में 15 महिलाएं और 6 बच्चे हैं. ये सभी कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविर में जाना चाहते थे।

 

वे अभी नौसेना की देखरेख में रहेंगे जब तक आयोग आधिकारिक रूप से इनकी पूरी जिम्मेदारी नहीं ले लेता है। कॉक्स बाजार में बांग्लादेश का सबसे बड़ा रोहिंग्या शरणार्थी शिविर है जिसमें करीब 10 लाख लोग रहते हैं।

 

इसकी देखरेख का जिम्मा बांग्लादेश शरणार्थी सहायता आयोग के पास ही है। कई मानवाधिकार समूहों का कहना है कि म्यांमार में रोहिंग्याओं की बढ़ रही प्रताड़ना के चलते इन्हें अपना देश छोड़कर भागना पड़ रहा हैै। इसके चलते ये समुद्र में फंस रहे हैं और अपनी जान तक गंवा रहे हैं।

 

बांग्लादेश सरकार ने 2015 में इस द्वीपर रोहिंग्या शरमार्थियों को बसाने का फैसला किया था। भासन चार द्वीप बांग्लादेश की मुख्यभूमि से दूर है। ये एक बाढ़ प्रभावित द्वीप है। समुद्र के पानी की वजह से यहां अक्सर बाढ़ आती रहती है।

 

बांग्लादेश की इस योजना की संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने निंदा की थी। इस द्वीप को यूएन ने पहले इंसानों के रहने के लिए अनुपयोगी घोषित किया था।

 

ये द्वीप समुद्र में से 20 साल पहले ही निकला है। इस दलदली द्वीप पर कोई रहता नहीं था, लेकिन बांग्लादेश ने इस द्वीप पर करीब एक लाख रोहिंग्याओं को बसाने की योजना बनाई है।

 

बांग्लादेश ने इस द्वीप पर लोगों के रहने के लिए मकान भी बनाया है। 29 लोगों का यह समूह इस द्वीप पर रहने वाले लोगों का पहला समूह बनेगा। इन लोगों के भासन चार पर पहुंचने के बाद खाने के साथ डॉक्टर और पुलिस की टीम भी द्वीप पर पहुंची है।

 

म्यांमार में दशकों से रोहिंग्याओं के साथ हिंसा की घटनाएं सामने आती रही हैं। 2017 में बौद्ध बहुल म्यांमार में सेना द्वारा रोहिंग्याओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद बांग्लादेश में बड़ी संख्या में रोहिंग्या आने लगे।

 

म्यांमार हमेशा से सेना कार्रवाई को उचित ठहराता आया है। उसका कहना है कि सेना ने सिर्फ जिहादी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जो देश की सुरक्षा के लिए चुनौती बन रहे थे। म्यांमार ने रोहिंग्याओं से नागरिकता भी छीन ली जिससे वो स्टेटलैस हो गए।

 

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी