मॉब लिंचिंग के मामलों में पुलिस और प्रॉसीक्यूशन की आपराधिक लापरवाही न्याय की राह में रुकावट

   

पॉपुलर फ्रंट की एनईसी ने कहा कि पुलिस और प्रॉसीक्यूशन की ओर से बरती गई आपराधिक लापरवाही ने देश को चैंका देने वाली मॉब लिंचिंग की दर्दनाक घटनाओं में सजा से बच निकलने में अपराधियों की मदद की।

भारत में निर्दोष लोगों की माॅब लिंचिंग में हत्या की वारदातें काफी बढ़ गई हैं। वास्तव में यह इतना गंभीर मामला बन चुका है कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ नए कानून बनाने का मशवरा दिया है। हालिया कई घटनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस मामले में पुलिस और प्रॉसीक्यूशन का रवैया उनकी ओर से आपराधिक लापरवाही का पता देता है। झारखंड पुलिस ने 22 वर्षीय तबरेज अंसारी की हत्या के 11 आरोपियों पर लगाए गए हत्या के मुकदमों को खत्म कर दिया है। यह इस बात की मिसाल है कि पुलिस निर्दोष मुसलमानों कि मॉब लिंचिंग के मामलों में किस तरह हत्यारों के साथ हाथ मिलाकर काम कर रही है।

इस मामले में पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ गंभीर सवाल उठाए गए हैं। तबरेज अंसारी को सर में गंभीर चोट आई थी लेकिन इसके बावजूद उसे मुनासिब इलाज देने के बजाय हिरासत में ले जाया गया और उसकी की मौत के बाद ही शिकायत दर्ज की गई। पूरे देश ने देखा था कि किस बेदर्दी से तबरेज अंसारी को मारा पीटा गया और जय श्री राम कहने पर मजबूर किया गया था, लेकिन पुलिस कह रही है कि कोर्ट में हत्या का मुकदमा नहीं चलेगा। पहलू खान हत्या मामले में भी यही हुआ। मौत से पहले अपने बयान में पीड़ित ने जिन 6 आरोपियों का नाम लिया था उन सभी को बरी करते हुए अलवर की निचली अदालत ने राजस्थान क्राइम ब्रांच की गंभीर लापरवाही की तरफ इशारा किया जो कि लिंचिंग की वीडियो सहित कोर्ट के सामने महत्वपूर्ण सबूत पेश करने में नाकाम रही।

यह साबित करता है कि देश बड़े संकट से गुजर रहा है, जो आपराधिक न्याय प्रणाली की ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है। बैठक ने अपील की कि उच्च न्यायालय अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए, देश की न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करे, ताकि सिस्टम में घुस चुके भ्रष्ट तत्वों को निकाल बाहर किया जाए।

चेयरमैन ई अबू बकर ने बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें महासचिव एम. मोहम्मद अली जिन्ना, उपचेयरमैन ओ.एम.ए. सलाम, सचिव अनीस अहमद, अब्दुल वाहिद सेठ तथा राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य ई.एम. अब्दुर्रहमान, प्रोफेसर पी. कोय, के.एम. शरीफ, एडवोकेट ए. मोहम्मद यूसुफ, ए.एस. इस्माईल, मोहम्मद रोशन, एम. अब्दुस्समद, मोहम्मद इस्माईल, यामुहियुद्दीन, अफसर पाशा, एम. कलीमुल्लाह, एस. अशरफ मोलवी व अन्य शरीक रहे।