मोदी का गठबंधन से पेट में जो दर्द हो रहा है उसका कोई इलाज उन्हें नहीं मिल पा रहा है: मायावती

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतापगढ़ लोकसभा की सीट पर अपनी चुनावी जनसभा में खासकर फूट डालो व राज करो की नीति के तहत् ही यहाँ हमारे सपा व बसपा गठबंधन के लोगों में जो भ्रम पैदा करने की घिनौनी हरकत की है तो इस सम्बन्ध में इनको हमारा यही कहना है कि जब से उत्तर प्रदेश में लोकसभा आमचुनाव के लिए यहाँ बीएसपी, सपा व आरएलडी का गठबंधन बना है तबसे यहाँ बीजेपी व खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभूतपूर्व संकट में हैं। उन्हें इस गठबंधन से पेट में जो दर्द हो रहा है, तो उसका कोई इलाज उन्हें नहीं मिल पा रहा है और ना ही आगे कोई इसका समाधान उन्हें मिलने वाला है जबकि हमारा बना यह गठबंधन वर्तमान के साथ-साथ भविष्य का भी गठबंधन है, जो आगे चलकर उत्तर प्रदेश से भी यहाँ बीजेपी की संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक, व अहंकारी सरकार को जरूर उखाड़ फेंकेगा।

हालांकि लोगों को यह भी मालूम है कि मोदी व इनकी सरकार ने हमारे इस बने गठबन्धन को तोड़ने व इसे नुकसान पहुँचाने का भी हर वह जतन किया है जो उनके बस में था और इस क्रम में इन्हांेने अपनी सरकारी मशीनरी का भी अभी तक खूब जमकर दुरुपयोग भी किया है। लेकिन इनके इन सब हथकण्डों के बावजूद भी जब हमारा यह गठबन्धन काफी मजबूती के साथ डटा रहा है और अब तक के चार चरणों में हमें बीजेपी को काफी पछाड़ता हुआ लगता है, तो अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने षड्यंत्र के तहत् हमारी दोनों पार्टियों में अर्थात् बसपा व सपा में फूट डालो और राज करो की नीति अपनानी शुरू की है ताकि बाकी के बचे तीन चरणों के चुनाव में बीजेपी अपनी कुछ इज्जत बचा सके।

और इसी फूट डालो और राज करो की हताश नीति के तहत् ही कल प्रतापगढ़ में इन्होंने बसपा व सपा के बारे में वह सब बातें कहीं जो पूरे तौर से निराधार व तथ्यहीन थी तथा उनका खास मकसद केवल यहाँ हमारी दोनों पार्टियों को आपस में लड़ाना व उनके समर्थकों को भ्रमित (गुमराह) करने का ही प्रयास करना था, लेकिन मोदी यह भूल गये कि हमारा यह गठबन्धन व्यापक जनहित व देशहित के लिए बीजेपी की जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए ही बना है और इसके लिए गठबन्धन की हमारी तीनों पार्टियाँ ही यहाँ हर प्रकार की अपनी कुर्बानी देती रही हैं और आगे भी देती रहेंगी, जिसकी खास वजह से ही हमारे इस गठबन्धन को भारी जनविश्वास व समर्थन प्राप्त है जो बीजेपी के सर्वोच्च नेतृत्व के पेट में दर्द होने का असली कारण यही है। जनता भी इसे खूब समझती है।

और यही कारण है कि प्रदेश की सर्वसमाज की दुःखी जनता पूरी तरह से इस गठबन्धन पर अपना आर्शीवाद बनाये हुए है और इस संकल्प (तहैये) के साथ काम कर रही है कि इस महीने 23 मई को बीजेपी गई और देश को एक निरंकुश व अहंकारी सरकार से मुक्ति मिली।

इसके अलावा, केन्द्र में अगली सरकार व अगले प्रधानमंत्री की परवाह श्री नरेन्द्र मोदी एण्ड कम्पनी के लोग ना करें तो यह बेहतर ही होगा और अब अगली सरकार जरूर बनेगी और साथ ही जनहित व देशहित को मजबूत बनाने वाली यहाँ सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की ही सरकार बनेगी और फिर देश में यहाँ हर तरफ फैला खासकर भय, घृणा, संकीर्णता का बादल अब जरूर छंटेगा तथा अबतक घुट-घुटकर जीने वाली देश की लगभग 130 करोड़ जनता फिर यहाँ खुली हवा में ही साँस लेगी जिसकी हमें यह पूरी-पूरी उम्मीद भी है।

इसके साथ ही, पूरा देश यह जानता है कि इस चुनाव में हमारे गठबन्धन ने यहाँ उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी प्रकार का कोई चुनावी समझौता नहीं किया है और खासकर हमारी पार्टी आज भी अपनी पार्टी की सोच व मूवमेन्ट के मामले में विशेषकर कांग्रेस व बीजेपी को अर्थात् इन दोनों पार्टियों को ही एक ही थाली के चट्टे-बट्टे मानकर चलती है।

लेकिन इसके बावजूद भी हमने देश व आमजनहित में खासकर बीजेपी व आर.एस.एस.वादी ताकतों को कमजोर करने के लिए यहाँ उत्तर प्रदेश की अमेठी व रायबरेली लोकसभा की सीट को कांग्रेस पार्टी के लिए इसलिए छोड़ दिया था ताकि इस पार्टी के दोनों सर्वोच्च नेता जो इन दोनों सीटों से ही फिर से यहाँ लोकसभा का आमचुनाव लड़ेंगे। और अब वे यहाँ से चुनाव लड़ भी रहे है तो वे कही इन दोनों सीटों में ही उलझकर ना रह जाये, यदि ये अकेले ही यह चुनाव लड़ते हैं और फिर कही इसका फायदा बीजेपी उत्तर प्रदेश के बाहर ज्यादा ना उठा ले। इसे खास ध्यान में रखकर ही फिर हमारे बने इस गठबन्धन ने ये दोनों सीटे कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ दी थी।

और वैसे मुझे यह पूरी-पूरी उम्मीद है कि हमारे गठबन्धन का एक-एक वोट और खासकर बी.एस.पी. अपना एक-एक बेस वोट जिनकी संख्या अकेले ही यहाँ लगभग 22/23 प्रतिशत है यह सभी वोट तो हर हालत में यहाँ इन दोनों सीटों पर कांग्रेस पार्टी के ही दोनों सर्वोच्च नेताओं को ही मिलने वाला है। इसमें किसी को भी कोई सन्देह नहीं होना चाहिये। वैसे भी हमारा वोट ज्यादातर साइलेन्ट ही रहता है अर्थात् अपने ज्यादा दिखावे आदि के चक्कर में नहीं पड़ता है और वह अपनी नेता का इशारा समझकर फिर अपना एक-एक वोट उसी ही पार्टी के उम्मीद्वार को दे देता है जिसको उनकी नेता दिलवाना चाहती हैं और यह सब किसी से छिपा नहीं है।