मोदी सरकार का बड़ा फ़ैसला, लोकसभा चुनाव से पहले सवर्ण जातियों को 10% आरक्षण की मंजूरी

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मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय कैबिनेट ने सवर्ण जातियों को 10 फीसद आरक्षण के फैसले पर मुहर लगा दी है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की बैठक के बाद ये जानकारी दी। एसएसटी एक्‍ट पर मोदी सरकार के फैसले के बाद सवर्ण जातियों में नाराजगी और हाल के विधानसभा चुनाव में तीन राज्‍यों में मिली हार के मद्देनजर इसे अगड़ों को अपने पाले में लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि मंगलवार को मोदी सरकार संविधान संशोधन बिल संसद में पेश कर सकती है। बता दें कि मंगलवार को ही संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है

राजनीतिक पंडितों ने अनुसार, मोदी सरकार के इस फैसले ने राफेल सौदे और किसानों की कर्जमाफी जैसे मुद्दों की हवा निकाल दी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस फैसले के दूरगामी राजनीतिक परिणाम देखने को मिलेंगे। कुछ और जातियां भी लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण की मांग कर सकती है।

बता दें कि इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण दिया जाएगा। केंद्र सरकार का यह एक ऐतिहासिक फैसला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है। बता दें कि कई राज्यों में सवर्ण आरक्षण की मांग करते आ रहे हैं। हाल में तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को मिली हार के बाद इस फैसले की अहमियत और बढ़ जाती है।

भाजपा नेता शहनवाज हुसैन ने इसे मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि गरीब स्वर्ण समुदाय लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। पीएम मोदी ने उनकी इस मांग को मानकर समाज को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। गौरतलब है कि केंद्र और राज्यों में पहले ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी और अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 22 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है।

मोदी सरकार सवर्णों को आरक्षण देने के लिए जल्द ही संविधान में बदलाव करेगी। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा। दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। बता दें कि पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में बदलाव करने का आदेश दिया था तब देशभर में दलितों ने काफी प्रदर्शन किया था। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया था। ऐसा माना जा रहा था कि मोदी सरकार के इस फैसले से सवर्ण काफी नाराज हो गए, दलितों के बंद के बाद सवर्णों ने भी भारत बंद का आह्वान किया था।