यमन ज़ंग: मदद नहीं, बल्कि गोला- बारूद पहुंचा रहे हैं इंसानियत के दुश्मन?

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यमन में मानवाधिकार संगठन की प्रमुख का कहना है कि मानवता प्रेमी सहायता से पहले अमरीकी बम और हथियार यमन पहुंच जाते हैं।
यमन में मानवाधिकार संगठन की प्रमुख रज़िया अलमुतवक्किल ने अमरीकी प्रतिनिधि सभा की विदेश संपर्क समिति के सदस्यों के साथ होने वाली एक बैठक में अमरीकी कांग्रेस से मांग की है कि वह सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात को अमरीकी हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दें।

उन्होंने कहा कि सऊदी गठबंधन की ओर से प्रयोग किए जाने वाले अमरीकी हथियारों से अब तक हज़ारों यमनी नागरिक मारे जा चुके हैं और सऊदी गठबंधन के हमले युद्ध अपराध समझे जाते हैं और इसी लिए यमनी जनता में अमरीकी के प्रति घृणा पायी जाती है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, इन्डीपेंडेंट ने भी यमन पर सऊदी गठबंधन के हमलों के बारे में मानवाधिकार संगठनों की अनेक रिपोर्टों के आधार पर लिखा कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात, अमरीका और ब्रिटेन के हथियारों द्वारा न केवल यमन के विरुद्ध युद्ध और हमले कर रहे हैं बल्कि वह इस देश में जनता के जनसंहार और तबाही का क्रम भी यथावत जारी रखे हुए हैं।

ज्ञात रहे कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात, अमरीका और कुछ पश्चिमी देशों के समर्थन से मार्च 2015 से यमन को पाश्विक हमलों का निशाना बना रहे हैं और इस हमले में अब तक कम से कम 60 हज़ार यमनी शहीद और घायल हुए हैं जबकि लाखों अन्य लोग बेघर हो चुके हैं और 1 करोड़ 40 लाख यमनी नागरिकों को भुखमरी का सामना है।