यहाँ मुस्लिम परिवार तैयार करता है रावण का पुतला, कई वर्षो से चली आ रही परंपरा

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जयपुर। विजयदशमी यानी बुराई  पर अच्छाई की जीत का पर्व  दशहरा 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन जगह-जगह रावण (ravan) के पुतले का दहन किया जाता है। छोटी काशी में रावण दहन की परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा में गंगा-जमुनी संस्कृति देखने को मिलती है। दशहरा पर जिस रावण को लोग उल्लास के साथ दहन करते हैं, उसी रावण को मुस्लिम परिवार तैयार करता है। यह परिवार मथुरा से सिर्फ रावण व कुंभकरण बनाने के लिए आता है और करीब डेढ़ माह तक जयपुर में रहकर रावण् व कुंभकरण बनाते हैं।

आदर्श नगर के दशहरा मैदान के पास श्रीराम मंदिर में यह मुस्लिम परिवार पिछले एक माह से रावण व कुंभकरण को तैयार करने में जुटा हुआ है। रावण व कुंभकरण बनाने का काम करीब एक माह पहले ही शुरू हो चुका हैं। ये लोग करीब डेढ़ माह तक यहां रहकर दिनरात रावण बनाने में जुटे हुए हैं।

रावण तैयार कर रहे चांद बाबू कहते हैं कि रावण बनाने का उनका पुश्तैनी काम है। वे पिछली पांच पीढ़ी से रावण बनाने का काम कर रहे हैं। हर बार जन्माष्टमी के बाद यहां आकर रावण तैयार करते आ रहे हैं।

रावण बनाने का काम उनके बाबा नबी बक्स आतिशबाज ने शुरू किया था। वे मथुरा से आकर जयपुर में रावण बनाते थे, उस समय रावण तैयार करने में मजदूरी 225 रुपए मिलती थी और अच्छा रावण तैयार होने पर इनाम के रूप मंे 10 रुपए मिलते थे, इसके लिए उनका पूरा परिवार मथुरा से जयपुर आकर रावण तैयार करता था।

नबी बक्स के बाद उनके परिवार वाले रावण बनाने का काम करते आ रहे हैं। अब यहां रावण बनाने में चांद बाबू का हाथ उनके परिवार के अन्य लोग भी बंटा रहे हैं। चांद बाबू कहते हैं कि रावण बनाने का सारा कच्चा माल जयपुर में ही मिल जाता है। रावण तैयार करने में बांस, सण, सूतली व डोरा आदि काम में आते हैं। दशहरा से पहले रावण व कुंभकरण का पुतला तैयार हो जाएगा।