यूपी में आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानो ने किडनी बेचने के लिए लगाये पोस्टर !

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यूपी में आर्थिक विपन्नता से जूझ रहे किसान किडनी बेचने को मजबूर हो रहे हैं। आगरा के फतेहाबाद में आलू के कर्जे में डूबे किसान ने सोशल मीडिया पर किडनी बेचने का विज्ञापन दिया है तो सहारनपुर में एक किसान ने बैंक से ऋण न मिलने पर ‘किडनी बिकाऊ है’ का पोस्टर लगाया दिया है।

आगरा के फतेहाबाद के गांव घाघपुरा निवासी किसान गीतम सिंह पुत्र शोभाराम के पास ढाई बीघा जमीन है। किसान के मुताबिक, वो हर साल 70 से 80 बीघा जमीन पट्टे पर लेकर आलू करता है। बैंक और साहूकारों से कर्जा लेकर आलू की फसल की थी। लगातार तीन साल से फसल में नुकसान हो रहा है। इस बार भी फसल में बड़ा नुकसान है। आलू के कारण किसान 25 लाख रुपये के कर्जे में आ गया है। बैंक रिकवरी निकाल रही हैं। साहूकार अपना रुपया मांग रहे हैं। ऐसे में उसके सामने संकट खड़ा हो गया है।

किसान ने सोशल मीडिया पर एक संदेश डाला है। इसमें उसने अपनी किडनी बेचने का जिक्र किया है। किसान के मुताबिक दिल्ली और एक आगरा के व्यापारी से उनकी बात चल रही है। संदेश वायरल होते देख एसडीएम अब्दुल बासित और तहसीलदार कृष्ण मुरारी दीक्षित ने किसान को बुलाया। उसके बयान दर्ज किए। एसडीएम ने बताया कि जांच कराई जा रही है। यदि वास्तव में किसान पर कर्जा है तो शासन से आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।

उधर, सहारनपुर के चतरसाली सरसावा के युवक रामकुमार को डेयरी में कई डिप्लोमा करने व प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की ट्रेनिंग लेने के बाद भी लोन नहीं मिल रहा था। इससे तंग आकर किसान ने दफ्तरों के बाहर किडनी बेचने के इस्तहार लगा दिए। मामला सोशल मीडिया और अखबारों में उछला तो संबंधित विभाग के अधिकारियों की निद्रा टूटी। डेरी कार्य को लोन दिलाने के लिए पशुपालन विभाग भी सक्रिय हो गया है।

शनिवार को अपर निदेशक डा. वाईपीएस नायक ने युवक को बुलाकर लोन को आवेदन की स्थिति जानी और नाबार्ड की योजना के तहत लोन को ऑनलाइन आवेदन करने को कहा। सोमवार को फिर से वह, बैंक एलडीएम व डीडीएम नाबार्ड मिलकर युवक के लोन आवेदन पर आगे की प्रक्रिया की बाबत निर्णय लेंगे।