रमजान में चुनाव पर मचा सियासी घमासान, मुस्लिम धर्म गुरुओं ने जताई आपत्ति

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लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों ने सियासत शुरू कर दी है। दिल्ली में चुनाव 12 मई को रमजान के महीने में है। आप नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है। उधर, मुस्लिम धर्म गुरुओं ने भी आयोग के शेड्यूल पर एतराज उठाया है। हालांकि, उनका कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में सभी को भागीदारी निभानी चाहिए। इससे अगला पांच साल सुरक्षित रहेगा।

आप सांसद संजय सिंह का कहना है कि चुनाव आयोग मतदान में हिस्सा लेने की अपील पर करोड़ों खर्च कर रहा है। जबकि तीन फेज का चुनाव पवित्र रमजान के महीने में रखकर मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी कम करने की योजना बना रखी है। मुख्य चुनाव आयुक्त को सभी धर्मों के त्योहारों का ध्यान रखना चाहिए।

इससे पहले रविवार देर शाम आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने ट्वीट किया कि 12 मई को रमजान के चलते मुस्लिम समाज वोट कम करेंगे। इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा। उधर, दोनों आप नेताओं को सोशल मीडिया पर ट्रोल कर दिया है। लोगों ने आप नेताओं को खरी-खोटी सुनाई। इस तरह के बयानों को मुस्लिम तुष्टिकरण का चरम बताया है।

मुस्लिम धर्म गुरू बोले
मौलाना सैयद अहमद बुखारी, इमाम जामा मस्जिद ने कहा कि, बेहद अफसोस है कि रमजान के महीने को चुनाव आयोग ने अपने जेहन में नहीं रखा है। लेकिन जब चुनाव आयोग ने जब फैसला ले लिया है तो मुसलमानों को इस फैसले को नजरअंदाज कर जम्हूरियत को मजबूत करने के लिए ज्यादा से ज्यादा तादात में जाकर अपना वोट देना है। दो तीन घंटे की कुर्बानी उनके अगले पांच साल तक काम आएगी।

मौलाना मुफ्ती मोकर्रम, इमाम फतेहपुरी, शाही मस्जिद ने कहा कि, चुनाव आयोग की तारीखों पर हमें एतराज है। फिर भी हम देशहित में उसके फैसले में शामिल हैं। चुनाव आयोग की अपनी मजबूरी है। लेकिन आयोग अगर चाहता तो चुनाव के फेज को कम कर सकता था। जाहिर बात है कि मौजूदा शेड्यूल से मुसलमानों की एक बड़ी आबादी पर इसका असर पड़ेगा। अब भी आयोग कोई रास्ता निकलता है तो उसका हम खैर मकदम करेंगे।