रवांडा नरसंहार का मोस्ट वॉन्टेड आरोपी 25 साल बाद गिरफ्तार

   

पैरिस- करीब 25 साल पहले रवांडा में एक ऐसा नरसंहार देखा गया जिसकी कहानियां सुनकर आज भी किसी की रूह कांप सकती है। साल 1994 में पूरे देश में एक हेट कैंपेन चला और 100 दिन के अंदर कम से कम 8 लाख लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। इसके नरसंहार को फंड करने के आरोपी और पूरी दुनिया में मोस्ट वॉन्टेड बिजनसमैन Felicien Kabuga को आखिरकार फ्रांस में गिरफ्तार कर लिया गया है। करीब ढाई दशक से उसकी तलाश कर रही एजेंसियां इस कार्रवाई को इंसाफ की ओर एक कदम मान रही हैं।

किसी समय रवांडा का सबसे अमीर व्यापारी रहा Felicien (84) शनिवार को पैरिस से सुबह 5:30 बजे गिरफ्तार किया गया। फ्रांस की जस्टिस मिनिस्ट्री ने बताया है कि वह फर्जी पहचान से पैरिस के पास एक फ्लैट में रह रहा था। उसे अब पैरिस अपील कोर्ट और बाद में इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ हेग में पेश किया जाएगा। अफ्रीका के इस मोस्ट वॉन्टेड को यूनाइटेड नेशन्स के इंटरनैशनल क्रिमिनिल ट्राइब्यूनल फॉर रवांडा ने 1997 में नरसंहार, नरसंहार में साथ देने, नरसंहार के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। अमेरिका ने भी उस पर 5 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था।

रवांडा में तुत्सी समुदाय अल्पसंख्यक होने के बावजूद हूतू से ज्यादा ताकतवर रहा लेकिन 1959 में पासा पलट गया। तुत्सी शासन खत्म हो गया और हजारों लोग दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हो गए। 1990 में इनमें से कुछ लोगों ने बगावत की और रवांडन पैट्रियॉटिक फ्रंट (RPF) बनाया जिसने रवांडा पर हमला कर दिया। आखिरकार 1993 में शांति समझौता किया गया लेकिन एक साल के अंदर हालात बदल गए।

6 अप्रैल, 1994 की रात को तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनल हबयरिमना के प्लेन पर हमला कर दिया गया और प्लेन में सभी लोगों की मौत हो गई। हूतू कट्टरपंथियों ने RPF पर इसका आरोप लगाया और हिंसा शुरू हो गई। RPF का दावा है कि हूतू समुदाय ने ही प्लेन पर हमला किया ताकि जनसंहार का बहाना ढूंढा जा सके। विरोधियों और बागियों की लिस्ट तैयार की गई। इस लिस्ट में शामिल लोगों और उनके पूरे परिवारों को खत्म किया जाने लगा। लोगों के आईडी कार्ड देखकर एक-एक की हत्या की जाती।

​हालात यहां तक हिंसक हो गए थे कि महिलाओं को सेक्स स्लेव के तौर पर रखा जाता था। बकायदा रेडियो स्टेशन्स और अखबारों पर हेट कैंपेन चलाया गया। यहां तक कि पादरी और नन भी लोगों की हत्या करने के बाद चर्च में शेल्टर लेते थे। पति पत्नी को और पड़ोसी पड़ोसी को मौत के घाट उतार रहा था क्योंकि उन्हें धमकी दी जाती थी कि ऐसा नहीं करने पर उन्हें मार दिया जाएगा। सिर्फ तुत्सी नहीं, ऐसे हूतू जो बीच-बचाव की कोशिश करते थे, उन्हें भी मौत की सजा दी जाती थी।