राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं का दारुल उलूम देवबंद में आना बंद होना चाहिए!

   

इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद के चांसलर मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने आज यह साफ कर दिया कि इनकी संस्था चुनावी राजनीति से खुद को पूरी तरह से अलग रखेगी। उन्होंने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।

रॉयल बुलेटिन पर छपी खबर के मुताबिक, दारूल उलूम के सर्वोच्च अधिकारी मुफ्ती नौमानी ने कहा कि चुनाव के दौरान वह किसी भी सियासी दल के नेता से मुलाकात नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि दारूल उलूम के दरवाजे हमेशा सभी के लिए खुले रहते हैं।

लेकिन उनकी संस्था सियासी गतिविधियों में किसी भी तरह से साझीदार नहीं होना चाहती। उन्होंने मीडिया से भी अनुरोध किया कि वे दारूल उलूम और उसके शिक्षकों से सियासत पर बयान आदि लेने से परहेज करें। चांसलर ने यह भी कहा कि दारूल उलूम किसी भी चुनाव में मुसलमानों से किसी तरह की कोई भी अपील नहीं करता है। इस बार भी इसी परंपरा का पालन किया जाएगा।

दारूल उलूम भारतीय सियासतदाओं के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है। राजीव गांधी, मुलायम सिंह यादव, मनीष सिसोदिया, ठाकुर अमर सिंह, राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद, सलमान खुर्शीद, अखिलेश यादव, नसीमुद्दीन सिद्दिकी आदि सियासी मंशा को लेकर दारूल उलूम आते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान संस्था राजनेताओं को चुनाव के दौरान दारूल उलूम में आने के लिए कहती रही है।