राजस्थान में 900,000 पुस्तकों वाला भूमिगत लाइब्रेरी

   

मरुप्रदेशके तपते रेतीले धोरों के बीच स्थित जैसलमेर जिला वैसे तो विश्व मानचित्र पर अपनी अलग पहचान रखता है। इसी कड़ी में जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ भादरिया राय मंदिर स्थित जगदम्बा सेवा समिति ने यहां एक विशाल पुस्तकालय की नींव रखी है। जिसे विश्व स्तर पर एक अलग पहचान बनाने को लेकर यह समिति विगत कई वर्षों से प्रयासरत  था। इसके साथ ही समिति की ओर से समय-समय पर लोकहित जनकल्याण के कार्य भी करवाए जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी इस समिति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राजस्थान में थार मरुस्थलीय क्षेत्र के भदरिया गाँव में एक मंदिर के नीचे एक अपने आप में अनूठा है।

यह एशिया के सबसे बड़े पुस्तकालयों में लगभग 900,000 पुस्तकों के संग्रह और 4,000 लोगों के बैठने की क्षमता के साथ ज्ञान के आंकड़ों का खजाना है।

हरबंश सिंह निर्मल द्वारा निर्मित, जिसे भद्रिया महाराज के नाम से भी जाना जाता है, जो मूल रूप से पंजाब से थे, पुस्तकालय में संग्रह में दुनिया के विभिन्न कोनों से पुस्तकें शामिल हैं और साथ ही साथ विभिन्न अवसरों पर उन्हें उपहार भी दिए गए हैं। लेकिन भदरिया महाराज को ज्ञान के विशाल कक्षों के निर्माण में एक बड़ी राशि का निवेश करने का भी विचार था। वह खुद कई वर्षों तक एक कमरे में रहे और ग्रामीणों के अनुसार इस पुस्तकालय में उपलब्ध लगभग सभी पुस्तकों को पढ़ा।

पुस्तकालय की देखरेख ग्रामीणों के साथ-साथ मंदिर के भक्त भी करते हैं।

किताबें विज्ञान से लेकर ज्योतिष विज्ञान तक खगोल विज्ञान से लेकर महाकाव्यों, इतिहास, शब्दकोशों, एटलस और कई और अधिक 562 ग्लास बव्वा में संरक्षित हैं।

विद्वानों और शिक्षार्थियों के लिए, जो दुनिया भर से इस ग्रंथ सूची का दौरा करते हैं, यह ज्ञान का एक बड़ा खजाना है।

इस पुस्तकालय में पुस्तकों का संग्रह 1998 के आसपास शुरू हुआ। भद्रिया महाराज के स्वामित्व वाले जगदंबा सेवा समिति नामक एक ट्रस्ट ने भी एक मंदिर बनाने का फैसला किया।

समिति ने विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं लोगों के पढ़ने की प्यास को एक ही जगह पर बुझाने के उद्देश्य को लेकर विश्व के समस्त पुस्तकालयों में मिलने वाली पुस्तकों को एक ही स्थान पर जमा करने को लेकर कार्य किया है। इसको लेकर यहां पुस्तकों का संग्रह कर दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय स्थापित करने का सपना संजोया है। इसी सपने को साकार करने के लिए मंदिर समिति की ओर से देश की सबसे बड़ी विश्व में अपना उच्च स्थान रखने वाले पुस्तकालय की नींव रखकर एक अनूठी पहल की है।

सन् 1983 में श्रीजगदम्बा सेवा समिति के संस्थापक क्षेत्र के प्रसिद्ध संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने भादरिया मंदिर में करवाए गए विशाल धर्मशाला अन्य निर्माण के साथ एक पुस्तकालय की भी नींव रखी थी। यही पुस्तकालय आज एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े पुस्तकालयों में से एक है।

यहां वर्तमान में एक करोड़ से अधिक कीमत की विभिन्न तरह की साहित्यिक, ऐतिहासिक, ज्ञानवर्द्धक विधि से संबंधित पुस्तकें उपलब्ध हैं। पुस्तकालय के लिए यहां पर दो विशाल भवन बनाए गए हैं। एक में पुस्तकों का अध्ययन करने के लिए व्यवस्था की गई है। दूसरे भवन में सैकड़ों की संख्या में निर्मित अलमारियों में उन्हें संग्रहित कर रखा गया है। यहां बने अध्ययन केन्द्र में एक साथ सैकड़ों लोग एक ही समय में बैठकर इन पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं।

इन पुस्तकों का किया गया है संग्रह
यहांसमिति देश के जाने माने साहित्यकारों की रचनाओं के साथ ही विश्व के दुर्लभ साहित्य को भी एकत्रित करने के प्रयास में जुटी है। इस पुस्तकालय में विश्व के कुल 11 धर्मों में से सात धर्मों का संपूर्ण साहित्य उपलब्ध है। कानून की आज तक प्रकाशित सभी पुस्तकें, आयुर्वेद, वेदों की संपूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, विश्व का संविधान, जर्मन लेखक एफ मैक्स मुलर की रचनाएं, पुराण, एनसाइक्लोपिडिया की पुस्तकें, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण विभिन्न शोध की पुस्तकों सहित हजारों तरह की पुस्तकें यहां उपलब्ध है। इसके साथ ही इस पुस्तकालय में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी भाषाओं के साथ साथ उर्दू, पारसी, परशियन, अरबी तथा तमिल पांडूलिपि में भी कई पुस्तकों का संग्रहण है।