टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस सौदे में 34,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। वहीं इस साल 13,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। 15 प्रतिशत की पहली किस्त का भुगतान सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद सितंबर 2016 में की गई थी। उस समय भारतीय वायुसेना ने परियोजना प्रबंधन और अग्रिम प्रशिक्षण टीमों को फ्रांस में तैनात किया था। तब क्रिटिकल डिजायन रिव्यू और डॉक्यूमेंटेशन के लिए भुगतान किया गया था।
सूत्र ने कहा कि अंतिम किश्त का भुगतान 2022 में किया जाएगा जब सभी विमान भारत आ जाएंगे। वायुसेना को फ्रांस से इस साल सितंबर में चार लड़ाकू विमान मिल जाएंगे। जिसके बाद लगभग 10 पायलटों, 10 उड़ान इंजीनियरों और 40 तकनीशियनों की मुख्य टीम को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह विमान हरियाणा के अंबाला एयरबेस में मई 2020 तक पहुंच जाएंगे।
वायुसेना की योजना है कि राफेल के एक स्कवाड्रन (18 विमान) को अंबाला और हासिमरा में तैनात किया जाए। जिससे कि पाकिस्तान और चीन पर नजर रखी जा सके। इन दोनों एयरबेस के ढांचे पर लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत आएगी। दोनों में राफेल के दो-दो स्कवाड्रन तैनात किए जा सकेंगे। इस समय 13 आईएसई के विमान की फ्रांस में फ्लाइट टेस्टिंग हो रही है, जिसे कि माना जा रहा है अप्रैल 2022 तक सर्टिफिकेट मिल जाएगा।