लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि करीब 22 लाख सरकारी नौकरी की रिक्तियां हैं, जिन्हें उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर अगले साल 31 मार्च तक भरा जाएगा. कांग्रेस नौकरी के कथित रूप से घट रहे अवसर और रोजगार सृजन की कमी को लेकर सरकार की आलोचना करती रही है.
राहुल गाँधी ने ट्वीट किया, ‘आज सरकार में 22 लाख नौकरी की रिक्तियां हैं. हम 31 मार्च 2020 तक इन रिक्तियों को भरेंगे.’ उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के लिए केंद्र द्वारा प्रत्येक राज्य सरकार को धनराशि हस्तांतरण को भरे जाने वाले इन रिक्त पदों से जोड़ा जाएगा.
बता दें, कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी दल पर रोजगार के मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार पर निशान साधते रहे हैं. हालही राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया था कि कर्ज में डूबे किसानों और बेरोजगार युवाओं को राहत देने में यह सरकार विफल रही है. फरवरी में राहुल गांधी ने पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस की जन आकांक्षा रैली को संबोधित करते हुए नोटबंदी को दुनिया का सबसे बडा घोटाला करार दिया था. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा की सरकार ने उद्योगपतियों का करोडों रूपये का कर्ज माफ किया लेकिन नरेंद्र मोदी ने किसानों का एक रूपये का कर्ज भी माफ नहीं किया.
Today, there are 22 Lakh job vacancies in Government.
We will have these vacancies filled by 31st March, 2020.
Devolution of funds from the Center to each State Govt for healthcare, education etc. will be linked to these vacant positions being filled.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 31, 2019
राहुल ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि हमने चुनाव के समय किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था जिसे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान में सत्ता में आने पर पूरा किया. उन्होंने पेश बजट में किसानों के लिए की गई घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा नेताओं ने उसे ऐतिहासिक निर्णय बताया.
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के प्रत्येक किसान को 17 रुपये देकर उनका अपमान किया गया है, इसका जवाब किसान भाजपा को देंगे. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के किसानों ने नरेंद्र मोदी और भाजपा को अपना जवाब दे दिया है. राहुल ने आरोप लगाया कि एक तरफ नरेंद्र मोदी उद्योगपतियों के साढे़ तीन लाख करोड़ रूपये माफ करते हैं लेकिन किसानों द्वारा इसकी मांग करने पर अरुण जेटली कहते हैं यह हमारी नीति में शामिल नहीं है.