रिपोर्ट में ख़ुलासा- गोरक्षा के नाम पर पिछले तीन साल में करीब 44 लोगों की हत्या हुई

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भारत में पिछले तीन साल में लगभग 44 लोगों की कथित गोरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई. अंतराष्ट्रीय संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ की रिपोर्ट का कहना है कि अक्सर ऐसे तथाकथित गोरक्षकों को प्रशासन और हिंदुत्ववादी नेताओं का संरक्षण प्राप्त होता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की ख़बर के अनुसार, इस सप्ताह में जारी 104 पृष्ठ की रिपोर्ट में हिंदू राष्ट्रवादी समूहों द्वारा हमलों की जांच की गई और कहा गया कि 44 मृतकों में से 36 लोग मुस्लिम समुदाय से थे.

न्यूयॉर्क स्थित संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2015 और दिसंबर 2018 के बीच 100 से अधिक हमलों में लगभग 280 लोग घायल हुए हैं. हालांकि रिपोर्ट में उससे पिछले हुए घटनाओं का आंकड़ा नहीं है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदूवादी विचारधारा वाली पार्टी भाजपा गोरक्षा का समर्थन करती है. चूंकि भारत में हिन्दू बहुसंख्यक गाय को पूजते हैं, नेताओं ने बयानबाजी करके मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक अभियान चलाया, क्योंकि बीफ की खपत उनके समुदाय से जुड़ा हुआ मामला है.’

प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले गोरक्षा की आड़ में हो रही हिंसा की निंदा की थी और कहा था कि गोरक्षा के नाम पर लोगों को मारना स्वीकार्य नहीं है.

रिपोर्ट पर भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसे तत्वों को अपराधियों से कम नहीं कहा और राज्य सरकारों से अपील की कि वे किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हिंसात्मक कार्रवाई करें.

उन्होंने कहा कि विपक्षी कांग्रेस पार्टी की सरकारों में भी गाय से संबंधित हिंसा हुई है. भाजपा को जिम्मेदार ठहराना संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का पसंदीदा विषय है.

यह रिपोर्ट ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इन तथाकथित गोरक्षकों के प्रभाव को भी उजागर करती है. लोकसभा चुनाव से पहले हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक तनाव में वृद्धि की उम्मीद है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में मुस्लिम डेयरी किसानों पर घातक हमले हुए. इसके अलावा उन पर गोमांस खाने के संदेह पर भी हमले की खबर मीडिया में लगातार आती रही हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट हिंसक गोरक्षा समूहों से जुड़ी मौतों के मामले में पहली विस्तृत सर्वेक्षणों में से एक है, जिन्हें आधिकारिक भारतीय अपराध के आंकड़ों में अलग से जगह नहीं दी जाती है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था गोरक्षकों की हिंसा से प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से कई हिंदू भी आहत हैं.. भारत का पशुपालन उद्योग भी प्रभावित हुआ है. किसान अब अपने मवेशियों को कहीं ले जाने से भी डरते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि किसान आमतौर पर बूचड़खानों को अनुत्पादक पशुओं को बेचते थे, जिनमें से कुछ को हिंदू राष्ट्रवादी राजनेताओं द्वारा निशाना बनाया गया. लेकिन अब किसान बस जानवरों को खुला घूमने दे रहे हैं, इससे किसानों की फसलें नष्ट हो रही हैं.

साभार- वायर हिंदी