इंटरनेशनल कोर्ट ने गुरुवार को म्यांमार को आदेश दिया कि रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार और अत्याचार रोकने के लिए तुरंत कदम उठाएं।
भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, कोर्ट ने यह भी कहा कि रोहिंग्या पर किए अत्याचारों के सबूतों को सहेजा जाए। गांबिया के मुस्लिमों ने पिछले साल नवंबर में इंटरनेशनल कोर्ट में याचिका दायर की थी।
MULTIMEDIA: photos and videos of the reading of the #ICJ Order on provisional measures in the case of Application of the Convention on the Prevention and Punishment of the Crime of Genocide (#TheGambia v. #Myanmar) are available here https://t.co/ab0JucLqlz pic.twitter.com/n2KEDTxxDx
— CIJ_ICJ (@CIJ_ICJ) January 23, 2020
इसमें म्यांमार पर रोहिंग्या के नरसंहार का आरोप लगाया गया था।हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि आदेश गांबिया की याचिका पर दिया गया है।
17 जजों ने अपने फैसले में कहा कि म्यांमार सरकार को अपनी क्षमता के हिसाब से रोहिंग्या को अत्याचारों से बचाना चाहिए। इसकी रिपोर्ट 4 महीने में कोर्ट के समक्ष रखने के भी आदेश दिए हैं।
2017 में म्यांमार सेना ने रोहिंग्या पर अत्याचार किए थे, जिसके चलते 7 लाख 30 हजार रोहिंग्या देश छोड़कर बांग्लादेश सीमापर आ गए थे। ये लोग यहां कैंपों में रह रहे थे। जांचकर्ताओं ने कहा था कि सेना ने रोहिंग्याओं के नरसंहार के लिए अभियान चलाया था।
कोर्ट के रोहिंग्या मामले पर फैसला सुनाने से पहले फाइनेंशियल टाइम्स ने म्यांमार की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की का आर्टिकल छापा। इसमें उन्होंने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ युद्ध अपराध हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने (रोहिंग्या) इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया।
पिछले महीने इंटरनेशनल कोर्ट में सुनवाई के दौरान सू की ने जजों से केस को खारिच करने की भी मांग की थी।
म्यांमार के 100 से ज्यादा सिविल सोसाइटी ग्रुपों ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि म्यांमार के लोगों की धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर राजनीतिक और सैन्य नीतियां हिंसक बल के साथ आरोपित की जाती हैं। ऐसा लगातार हो रहा है।
BREAKING: Intl Court of Justice @CIJ_ICJ orders #Myanmar to halt acts of #genocide against & ensure protection of #Rohingya!
Today, the @UN’s highest court recognized the suffering of Rohingya Muslims at the hands of #Myanmar's army & govthttps://t.co/0YLLBESd9f#JusticeMatters pic.twitter.com/wxGOf29i7A
— Lotte Leicht (@LotteLeicht1) January 23, 2020
साफ है कि म्यांमार के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला राजनीतिक और सैन्य ताकत का दुरुपयोग करने वाले लोगों के लिए है, न कि म्यांमार की जनता के लिए।