अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हुए AN-32 विमान में सवार कोई भी जीवित नहीं बचा. दुर्घटनास्थल पर पहुंचे भारतीय वायुसेना (IAF) के 8 सदस्यीय राहत दल ने सभी के मारे जाने की पुष्टि की है. IAF ने कहा है कि पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करती है.
एक ट्वीट में IAF ने कहा कि इस क्रैश में विंग कमांडर जीएस चार्ल्स, स्क्वाड्रन लीडर एच विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर थापा, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए तंवर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मोहंती, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एमके गर्ग, लीड एयरक्राफ्ट मैन एसके सिंह, वारंट ऑफिसर केके मिश्रा, सार्जेंट अनूप कुमार, कॉर्पोरल शेरिन, नॉन-कॉम्बैटेंट कर्मचारी पुताली और राजेश कुमार मारे गए.
अरुणाचल प्रदेश के नागरिक प्रशासन ने AN-32 विमान के दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए बुधवार को बड़े पैमाने पर एक अभियान शुरू किया था. जिस स्थान पर भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 का मलबा देखा गया, वह लिपो के उत्तर में 16 किलोमीटर दूर स्थित है और शि योमी जिले के पयूम क्षेत्र के अंतर्गत गैट्टे से लगभग 12 से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है.
3 जून को रूसी मूल के एएन-32 विमान ने असम के जोरहाट एयरबेस से चीनी सीमा के नजदीक अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले के मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए उड़ान भरी थी. विमान का दोपहर 1.30 बजे ग्राउंड स्टाफ से संपर्क टूट गया था. पूर्वी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल आर.डी. माथुर खोज और बचाव कार्यो की निगरानी कर रहे थे.
वायुसेना ने आठ जून को लापता विमान के स्थान का पता या इससे संबंधित जानकारी देने के लिए पांच लाख रुपये इनाम की घोषणा की थी. विमान का पता लगाने के लिए एमआई-17 हेलीकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, एसयू-30 एमकेआई, सी130 और आर्मी यूएवी को सेवा में लगाया गया था.
भारतीय नौसेना के लॉन्ग रेंज मैरीटाइम टोही विमान पी-8आई और उपग्रहों का भी लापता विमान को खोजने के लिए उपयोग किया गया. इसके अलावा, भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), स्थानीय पुलिस और अन्य एजेंसियों की टीमें विमान के लापता होने के दिन से जमीनी स्तर पर खोज अभियान में शामिल थीं.