लॉकडाउन के बाद पलायन पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, केंद्र से रिपोर्ट तलब

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कोरोना वायरस की वजह से देश भर में लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की समस्याओं से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करनेवाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कदम उठाए हैं. हम इस पर रिपोर्ट देंगे. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई होगी.

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस ए बोब्डे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए कहा कि हम तुरंत कोई निर्देश देकर भ्रम नहीं फैलाना चाहते हैं. सरकार अपना काम करे और रिपोर्ट दाखिल करे.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि घबराकर भाग रहे लोगों को काउंसिलिंग की जरुरत है. तब चीफ जस्टिस ने कहा कि डर वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है. तब तुषार मेहता ने कहा कि मैं अनुरोध करुंगा कि ऐसा कोई संदेश न दिया जाए कि सुप्रीम कोर्ट पलायन को आसान बनाकर बढ़ावा दे रहा है.

वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में कहा है कि 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद प्रवासी मजदूरों को बिना घर और भोजन के छोड़ दिया गया. ये मजदूर देश भर में अपने-अपने इलाके में फंसे हुए हैं. उनके लिए परिवहन की भी कोई व्यवस्था नहीं है.

याचिका में कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों के पलायन की खबरें मीडिया में चलाई जा रही हैं. याचिका में कहा गया है कि जो प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर रवाना हुए हैं उन्हें नजदीक के शेल्टर होम में शिफ्ट करने और भोजन, पानी और दवाईयां उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.

याचिका में कहा गया है कि इन प्रवासी मजदूरों के संविधान की धारा 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि इन प्रवासी मजदूरों पर कोरोना वायरस के वाहक होने का भी धब्बा लगेगा और उन्हें अपने गांवों में भी अपनाया नहीं जाएगा.