लॉक डाउन में ईद-उल-फ़ित्र की नमाज़ दार-उल-उलूम देवबंद का फ़तवा

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हैदराबाद : मुल्क में जारी लॉक डाउन और समाजी फ़ासिला बरक़रार रखने के पेश-ए-नज़र दार अलाफ़ता-ए-दार-उल-उलूम देवबंद की जानिब से ईद की नमाज़ के बारे में चंद हिदायात जारी की गई हैं कोरोना वाइरस के सबब मुल्क में जारी लॉक डाउन और समाजी फ़ासिला के पश नज़र दारालाफ़ता-ए-की जानिब से नमाज़-ए-जुमा के मुताल्लिक़ हिदायात फ़राहम कराई गई थीं अब जबकि रमज़ान उल-मुबारक का आख़िरी अशरा चल रहा है और मुल्क में लॉक डाउन के ताल्लुक़ से अभी भी सूरत-ए-हाल वाज़िह नहीं है, इसलिए ईद की नमाज़ के ताल्लुक़ से कुछ अहम हिदायात जारी करना ज़रूरी है।

दार-उल-उलूम के मुफ़्ती किराम ने वाज़िह अंदाज़ में फ़तवा कहा है कि ईदैन की नमाज़ अहनाफ़ के नज़दीक असाह है और एक क़ौल के मुताबिक़ वाजिब है। ईद की नमाज़ के लिए वही शराइत हैं जो जुमा के लिए हैं, अलबत्ता जुमा में ख़ुतबा शर्त है और वो नमाज़ से पहले होता है और ईदैन में ख़ुतबा सुन्नत है और वो नमाज़ के बाद होता है लिहाज़ा अगर ईद अलफ़तर तक लॉक डाव का सिलसिला जारी रहता है और मसाजिद में पाँच से ज़ाइद लोगों को नमाज़ की इजाज़त नहीं होती है तो मसाजिद और घरों के बैठक या बाहरी कमरों में नमाज़-ए-ईद भी अदा की जा सकती है

और जिन लोगों के नमाज़-ए-ईद की कोई सूरत ना बन सके, उज़्र-ओ-मजबूरी की वजह से उनसे नमाज़-ए-ईद माफ़ होगी, लिहाज़ा उन्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। अलबत्ता ये हज़रात अगर अपने अपने घरों में इन्फ़िरादी तौर पर2 या4 रकात चाशत की नमाज़ पढ़ लें तो बेहतर है, क्योंकि जिन्हें ईद की नमाज़ ना मिल सके तो उनके लिए फुक़हा-ए-ने दो या चार रकात चाशत की नमाज़ को मुस्तहब क़रार दिया है