लोकसभा में बोले अमित शाह- भारतीय मुस्लिम भारतीय थे हैं और रहेंगे !

   

राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के बाद होम मिनिस्टर अमित शाह ने कहा कि आज में एक ऐतिहासिक बिल लेकर सदन में उपस्थित हुआ हूं। इस बिल के प्रावधान में, लाखों करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है। उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष के सभी सदस्यों को चुनौती देता हूं कि जब आपको बोलने का मौका मिलेगा आप प्रश्न पूछिए- मैं आपके हर एक प्रश्न का जवाब दूंगा, बशर्ते आप यहां बैठे रहें, उठकर बहार न जाएं। उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को पेश करते हुए उच्च सदन में गृह मंत्री ने कहा कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों के पास समान अधिकार नहीं हैं।

अमित शाह ने क्या कहा

1- ये बिल उन लोगों को, जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता देने का बिल है। कुछ विशेष छूट भी इस निश्चित वर्ग के लिए हमने सोची हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकारों, उनकी भाषा, संस्कृति और उनकी सामाजिक पहचान को संरक्षित करने के लिए भी हम प्रावधान लेकर आये हैं।

2- जो लोग कह रहे हैं कि हम वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, मैं उन सब साथियों को कहना चाहता हूं कि हमने चुनाव के पहले ही ये इरादा देश के सामने रखा था, जिसे देश की जनता ने समर्थन दिया है। इस बिल में हम तीनों पडोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण देकर उनको नागरिक बनाने की प्रक्रिया का संशोधन लेकर आये हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए भी हम प्रावधान लेकर आये हैं।

3- विभाजन के बाद हमारी कल्पना थी कि जो नागरिक यहां अल्पसंख्यक रहते हैं और जो पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हैं वो सम्मान के साथ जीवन जी पाएंगे, अपने धर्म का सम्मान के साथ पालन कर पाएंगे, अपने परिवार का सम्मान से रक्षण कर पाएंगे।

4- पाकिस्तान और उस समय के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में लगभग 20- 20% अल्पसंख्यकों की आबादी कम हो चुकी है। आखिर कहां गए वो लोग, या तो वो मार दिए गए या धर्म परिवर्तन हो गया या वो लोग शरणार्थी बनकर अपने धर्म और सम्मान को बचाने के लिए भारत आ गए। लेकिन दशकों बाद इसकी तरफ हम देखते हैं तो कटु सच्चाई ये सामने आई है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान या अफगानिस्तान  में अल्पसंख्यकों को सम्मान का जीवन नहीं मिला। वहां अल्पसंख्यकों की घोर प्रताड़ना हुई।

5- कुछ लोगों द्वारा भ्रांति फैलाई जा रही है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है।  जो इस देश के मुसलमान हैं उनके लिए इस बिल में कोई चर्चा या चिंता का उल्लेख नहीं हैं। फिर ये किसकी चिंता कर रहे हैं? इस तरह बंगाल इस्ट्रन फॉट्रियर रेगुलेशन एक्ट 1973 के तहत इनर लाइन परमिट के इलाके, पूरे मिजोरम, अरुणाचल, अधिकांश नागालैंड और मणिपुर में ये प्रावधान लागू नहीं होंगे।