वक़्त आने पर नेतन्याहू को भी धोखा दे सकते हैं ट्रम्प!

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अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने बुधवार को एक बयान देकर अपने घटक इस्राईल तथा उसके समर्थकों को बुरी तरह चौंका और डरा दिया।

ट्रम्प ने संकेत किया कि उनका मानना है कि यह अमरीका के हित में नहीं है कि वह सीरिया या अफ़ग़ानिस्तान की लड़ाई का हिस्सा बने, यह स्थानीय लड़ाइयां हैं इन्हें क्षेत्रीय ताक़तों पर छोड़ देना चाहिए।

अफ़ग़ानिस्तान के मामले में ट्रम्प का कहना है कि इस मामले को रूस और पाकिस्तान देखें, अमरीका के लिए उचित नहीं है कि अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत संघ का अनुभव दोहराए।

सोवियत संघ अफ़ग़ानिस्तान में लड़ते लड़ते दिवालिया हो गया और सोवियत संघ से रूस बन गया। इस इलाक़े में पाकिस्तान है यह लड़ाई पाकिस्तान को लड़नी चाहिए, रूस को भी यह लड़ाई लड़नी चाहिए क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान से आतंकी, रूस जा रहे हैं तो रूस को वहां होना चाहिए। समस्या यह है कि यह एक कठिन लड़ाई है।

ट्रम्प के इस बयान से साफ़ हो गया कि ट्रम्प प्रशासन इन विषयों पर क्या सोचता है और यह कि अफ़ग़ानिस्तान में जारी गतिरोध से ट्रम्प सरकार पूरी तरह हताश हो चुकी है साथ ही अफ़ग़ानिस्तान में ठहरे रहने का सुझाव देने वाले जनरलों से भी वह थक चुकी है।

ट्रम्प का सीरिया के बारे में कहना था कि अमरीका के हित में नहीं है कि वह सीरिया में अपना धन या ख़ून ख़र्च करे। सीरिया बहुत पहले हाथ से निकल चुका है, हम सीरिया के बारे में बात करते हैं तो ख़ज़ाने की बात नहीं है बल्कि यह तो केवल रेत और मौत की बात है। हम सीरिया से बाहर निकल रहे हैं, हमें सीरिया की ज़रूरत नहीं है।

ट्रम्प को यूरोप पर यह एतेराज़ है कि वह सीरिया, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में कोई बड़ा रोल नहीं निभा रहा है। जर्मनी अपने रक्षा विभाग पर एक प्रतिशत जीडीपी ख़र्च कर रहा है जबकि उसे चार प्रतिशत ख़र्च करना चाहिए। यूरोप को और भुगतान करना चाहिए।

इस्राईली अख़बार यदीऊत अहारोनोत ने इस्राईल के अधिकारियों के हवाले से लिखा कि ट्रम्प का बयान इस्राईल पर बिजली बनकर गिरा है क्योंकि इंटेलीजेन्स एजेंसियों ने जो सिफ़ारिशें की थीं उन्हें ट्रम्प ने पूरी तरह नज़र अंदाज़ कर दिया और वह समझ ही नहीं रहे हैं कि ज़मीनी सच्चाई क्या है।

खेद की बात यही है कि इस्राईली इंटेलीजेन्स जो भी जानकारियां दे रही है ट्रम्प को उस पर विश्वास नहीं हो रहा है। ट्रम्प को यही नहीं पता है कि सीरिया में ईरान की सैनिक उपस्थिति का क्या मतलब है।

इस्राईल के साथ ही सऊदी अरब को भी ट्रम्प के बयान से झटका लगा है अलबत्ता सऊदी अरब को इससे पहले भी ट्रम्प से कई बार बड़े झटके लग चुके हैं। ट्रम्प कह चुके हैं कि सऊदी अरब दूध देने वाली गाय है, ट्रम्प यह भी कह चुके हैं कि मध्यपूर्व के अरब शासक अगर अमरीका का समर्थन न हो तो दो सप्ताह भी सत्ता में नहीं टिक पाएंगे।

अतः सऊदी अरब के लिए यह नई बात नहीं है लेकिन इस्राईल का मामला यह है कि उसने ट्रम्प पर बहुत विश्वास किया है। इस्राईली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने अमरीका की ओर से बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित किए जाने के बाद यह विश्वास कर लिया था कि वह अमरीका की ताक़त को अपने हितों के लिए प्रयोग कर सकेंगे मगर ट्रम्प को बयान से यह ज़ाहिर है कि वह अमरीका को किसी नए युद्ध में नही फंसाना चाहते बल्कि इस्राईल या सऊदी अरब को यदि कोई मोर्चा संभालना है तो वह ख़ुद संभालें।

साभार- ‘parstoday.com’