बहरैन में ‘डील आफ़ सेंचुरी’ बैठक का पुरी दुनिया में विरोध!

   

बहरैन की राजधानी मनामा में सेंचुरी डील के आर्थिक पहलू पर चर्चा के लिए आयोजित सम्मेलन का चौतरफ़ा विरोध किया जा रहा है।

यह सम्मेलन 25 और 26 जून को मनामा में आयोजित हो रहा है जिसकी अध्यक्षता अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के दामाद और सलाहकार जेयर्ड कुशनर कर रहे हैं।

जहां कुशनर ने कहा है कि अनेक देशों और संगठनों की ओर से सम्मेलन का बहिष्कार किए जाने इसको कोई आघात नहीं पहुंचा है वहीं पश्चिमी एशिया के पूरे इलाक़े में यह विचार आम है कि केवल मनामा सम्मेलन ही नहीं बल्कि पूरी सेंचुरी डील योजना ही नाकाम हो चुकी है।

लेबनान के हिज़्बुल्ल आंदोलन की राजनैतिक परिषद के अध्यक्ष सैयद इब्राहीम अमीन अस्सैयद ने कहा कि अमरीका ने सेंचुरी डील के नाम साज़िश रचकर फ़िलिस्तीन राष्ट्र के अस्तित्व और तथा उसके राजनैतिक अधिकारों की पूरी तरह उपेक्षा की है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनियों के बारे में अमरीका की सोच यह है कि वह ग़रीबों और भिखारियों का एक समूह है जिसकी वित्तीय समस्या का समाधान करना है और यह सोच हरगिज़ सहन नहीं की जाएगी।

बहरैन के सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ के उप महासचिव शैख़ हुसैन अद्देही ने कहा कि मनामा सम्मेलन का आयोजन फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की पीठ में छुरा घोंपने के समान है। उन्होंने कहा कि अमरीका और ज़ायोनी शासन की सेंचुरी डील योजना इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दी जाएगी।

फ़िलिस्तीनी प्रशासन के प्रधानमंत्री मुहम्मद अशतिया ने कहा मनामा बैठक की आलोचना करते हुए कहा कि यह सम्मेलन हरिगज़ कामयाब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन की ओर से इस सम्मेलन का विरोध किए जाने से इसकी कोई क़ानूनी हैसियत नहीं रह गई है।

फ़िलिस्तीन के हमास आंदोलन के नेता मुशीर अलमिस्री ने कहा कि हमास संगठन इसे अपना दायित्व समझता है कि सेंचुरी डील को नाकाम बनाए। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिरोधक संगठनों को चाहिए कि सेंचुरी डील को नाकाम बनाने के लिए अपनी क्षमताओं का दायरा बढ़ाएं।

उधर फ़िलिस्तीनियों ने पश्चिमी तट के अनेक शहरों में प्रदर्शन करके मनामा बैठक की आलोचना की और कहा कि पूरी फ़िलिस्तीनी जनता इस ख़तरनाक साज़िश के ख़िलाफ़ एकजुट है।

अलख़लील, बैत लहम, जेनीन, नाबलुस और क़िलक़ेलिया सहित अनेक शहरों में सड़कों पर निकलने वाले प्रदर्शनकारियों ने कहा कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की उमंगों से खिलवाड़ करने वाली सेंचुरी डील का डटकर मुक़ाबला किया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शरणार्थी फ़िलिस्तीनियों को अपनी धरती पर वापस लौटने का हक़ है और यह अधिकार उनसे कोई नहीं छीन सकता।

कुवैत की संसद ने देश की सरकार से मांग की है कि वह मनामा बैठक का बहिष्कार करे। सांसदों की ओर से जारी किया गया बयान संसद सभापति मरज़ूक़ अलग़ानिम ने पढ़ा जिसमें कुवैत सरकार से मांग की गई है कि मनामा बैठक का बहिष्कार करने के लिए ठोस फ़ैसला ले।