वितरीत परिस्थितियों में बचाव अभियान के मोर्चे पर खरी उतरी भारतीय नौसेना

   

नई दिल्ली, 26 मई । घातक चक्रवात तौकते ने 17 मई को गुजरात में दस्तक दी थी। यह चक्रवात हाल के वर्षों में अरब सागर से निकलने वाला अब तक का पांचवां सबसे शक्तिशाली चक्रवात दर्ज किया गया है।

प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए राज्य और स्थानीय अधिकारियों को कार्रवाई में लगाया गया था और वे इस प्रक्रिया को अथक रूप से जारी रखे हुए हैं।

पिछले सोमवार से भारतीय नौसेना को अपने जहाजों, विमानों और कर्मियों को तैनात करने के लिए कहा गया था, ताकि गंभीर स्थिति को कम किया जा सके।

पिछले सप्ताह के दौरान नौसेना ने अपने आठ अग्रिम पंक्ति के जहाजों को तैनात किया, जिसमें कई विमान और तट पर सहायक कर्मचारी शामिल थे। नौसेना के त्वरित एक्शन आने से स्थिति में उल्लेखनीय बदलाव भी देखने को मिला।

चक्रवात के बाद समुद्री जहाजों एव नौकाओं की सहायता के लिए नौसेना ने त्वरिक एक्शन लिया। बार्ज पी-305 और टग वरप्रदा के पलटने से लेकर बार्ज जीएएल कंस्ट्रक्टर, बार्ज सपोर्ट स्टेशन 3, ग्रेट शिप अदिति और ड्रिल शिप सागर भूषण को तत्काल सहायता प्रदान की गई। नौसेना ने सभी प्रकार की कठिनाई का डटकर मुकाबला किया और बचाव अभियान को अच्छे से अंजाम दिया।

नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एम. एस. पवार ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि कुछ चरण (ऑपरेशन के) अंधेरी रातों में किए गए थे और जीवित बचे लोगों को सुरक्षित रूप से लाने के लिए सटीक नेविगेशन और कुशल जहाज-संचालन कौशल की आवश्यकता थी। यह आसान नहीं था, लेकिन हमारे जवानों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। हमारे गोताखोर जीवित बचे लोगों की तलाश जारी रखे हुए हैं।

बचाव अभियान के कुछ चरणों में 70-120 किमी प्रति घंटे की हवा की गति रही, 6-8 मीटर तक की लहरें और बहुत कम ²श्यता भी कठिनाई बनी हुई थी। इन सभी कारकों ने रडार और हेलीकॉप्टर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के संचालन में बाधा डाली और जहाजों और चालक दल की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा किया।

जो कोई भी गहरे समुद्र में जहाज पर रहा है, वह तूफान के दौरान जहाज के लुढ़कने और पिचिंग के बारे में जानता होगा।

इन परिस्थितियों के बीच, नौसेना के चालक दल ने अपने सभी प्राथमिक और बाहरी कर्तव्यों को पूरा किया।

एक ऑपरेशन में एक नेवल सीकिंग हेलीकॉप्टर ने 35 चालक दल के सदस्यों को अरब सागर में बार्ज जीएएल कंस्ट्रक्टर से बचाया।

इन हेलीकॉप्टरों की कमान संभालने वाले नौसेना के पायलटों में से एक ने कहा, ऐसे मौसम में निकासी अभियान चलाना खतरे से भरा होता है, लेकिन हम इसके लिए तैयार थे।

नौसेना संचालन के महानिदेशक वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा, इस तरह के चक्रवाती मौसम की स्थिति में खोज और बचाव के प्रयास करना, जिसमें उच्च हवा की गति, ऊंची लहरें और कम ²श्यता होती है, एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसके लिए अनुभवी और अच्छी तरह से प्रशिक्षित चालक दल की आवश्यकता होती है।

हालांकि नौसेना के जवानों और कर्मियों ने इस काम को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया।

बचवा अभियान से यह पता चला है कि पूरा ऑपरेशन जहाजों, हेलीकॉप्टरों, समुद्री टोही विमानों और तट अधिकारियों के बीच एक व्यापक और समन्वित प्रयास रहा है।

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