विरोध प्रदर्शन से जूंज रहा है लंदन, वाशिंगटन और पेरिस!

   

लंदन, वाशिंगटन और पेरिस पतन की कगार पर वाशिंगटन, लंदन, और पेरिस साम्राज्य की तीन राजधानियां आज अराजकता, शटडाउन और विरोध प्रदर्शनों से जूझ रही हैं, और अपने ही नागरिकों द्वारा पतन की कगार पर हैं।

हमें इस साम्राज्य के सिर मोहर अमरीका से शुरू करना चाहिए। अमरीका सरकार पिछले 20 दिनों से बंद चल रही है, जिसके कारण विभिन्न सरकारी संस्थानों और विभागों में काम बंद पड़ा है।

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने तो यहां तक धमकी दे दी है कि अगर कांग्रेस ने मैक्सिको सीमा पर दीवार के निर्माण की उनकी ज़िद को स्वीकार नहीं किया तो वह पीछे नहीं हटेंगे, चाहे यह शटडाउन एक साल तक भी जारी रहे।

दूसरी ओर, अमरीकी संसद सभापति नेन्सी प्लोसि ने कहा है कि हम ट्रम्प की धमकियों के आगे नहीं झुकेंगे और सीमा पर दीवार निर्माण को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि यह अनैतिक और अमानवीय है और राष्ट्र के पैसे का ग़लत इस्तेमाल है।

अमरीकी रक्षा मंत्री मेटिस ने कि जो मैड डॉग के रूप में जाने जाते हैं, सीरिया से अमरीकी सैनिकों के निकालने के ट्रम्प के फ़ैसले का विरोध करके ट्रम्प प्रशासन को और बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। इन परिस्थितियों को देखते हुए कोई नहीं कह सकता कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प कितने दिन और सत्ता में बने रहेंगे।

लंदन में ब्रिटिश प्रधान मंत्री थेरेसा मे एक चलता फिरता मुर्दा हैं। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने का मुद्दा भी लटका हुआ है और इस पर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं। संसद के बाहर हिंसा का क्रम शुरू हो गया है।

फ़्रांस में ऐलिसी महल राष्ट्रपति मैक्रॉन के क़िले में परिवर्तित हो गया है और किसी को नहीं मालूम विरोध प्रदर्शनों का तूफ़ान कब इसे ढेर कर दे। पिछले हफ़्ते प्रदर्शनकारियों द्वारा एक ट्रक को महल के प्रवेश द्वार पर टकराने के बाद राष्ट्रपति के प्रवक्ता को क़िले के पिछले दरवाज़े से चोरी चुपके निकलना पड़ा।

ऐसी संभावना है कि लंदन और पेरिस में लोगों का यह ग़ुस्सा पूरे ही यूरोप को अपनी चपेट में लेकर पूंजीवादी एवं साम्राज्यवादी शक्तियों को भस्म कर दे।

साभार- ‘parstoday.com’