वेस्ट से सर्वश्रेष्ठ

   

सत पाल, विश्वास नहीं होता कि वेस्ट, स्क्रैप और कबाड़ से आश्चर्यजनक आकर्षण का अविस्मरणीय पार्क बनाया जा सकता है मगर एसडीएमसी ने यह कर दिखाया है। एक पार्क में संसार के सात अजूबों के वेस्ट से बने हुबहू दिखते रेप्लिका यानि प्रतिरूप देख कर लगता है कि ऐतिहासिक अजूबों का सतरंगी इन्द्रधनुषी पार्क दिल्ली का नया लैंडमार्क बन गया है।

यह पार्क अपने आप में निराला है क्योंकि इसे निगम के कई स्टोर में टूटे, फूटे, अतीत को याद कर उदासी में मुंह छिपाये वाहनों के डंप किये 150  टन स्क्रैप से देश के दस कलाकारों ने बनाया है। बेकार रखे कबाड़ से जुगाड़ से लाजवाब कृतियां बनाने की दक्षिणी निगम की महारत की चर्चा देश, विदेश में हो रही है। यह तो रिसाकलिंग से स्थाई दर्शनीय स्थल बनाने का एक ऐसा उदाहरण  है जिसका अनुकरण करने को कई संगठन और संस्थान बेझिझक तैयार हो जायेंगे।

स्क्रैप को काट काट के, घिस घिस के, वेल्डिंग करके, नया वांछित आकार दे कर ऐसा लगता है  कि किसी असंभव सपने को साकार किया गया है।  सात एकड़ स्थान पर बना यह पार्क पर्यटकों, विदेशियों को इतिहास के  कई देशों में स्थित  गौरवपूर्ण अजूबों के स्वरूप को सुंदर हरे भरे पार्क में  एक साथ देखने का अवसर प्रदान कर रहा है ।

विशेष तौर पर बच्चों के लिये रोचक और ज्ञानवर्द्धक है। 33 फुट के ताज महल और 70 फुट के एइफल टॉवर के प्रतिरूप को अपने शहर में देख कर बच्चे उत्साहित हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं। यहां कोलोसियम, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, गीजा के पिरामिड, क्राइस्ट दी रिडीमर और लीनिंग टॉवर ऑफ पीसा के जानदार, शानदार प्रतिरूप भी कबाड़ से बनाये गये हैं।  यह पार्क दिन ढलने के बाद इसी स्थान पर बनायी गया सौर तथा पवन ऊर्जा की जगमगाहट से प्रतिदिन हजारों लोगों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

शाम में अगर सातों अजूबों पर आधारित पृष्ठभूमि और इतिहास से संबंधित  लाइट एंड सांउड शो भी इसी पार्क में देखने को मिले तो क्या इसे सोने पर सुहागा नहीं  कहा जायेगा, जी हां यह कार्यक्रम शुरू करने पर विचाक किया जा रहा है। यहां ऐसे अदभुत, सुंदर पेड़ लगाये गये हैं जो न केवल नवीकरणीय ऊर्जा की जरूरत को दर्शाते हैं अपितु बिजली की आवश्यकता भी पूरी करते हैं।

दक्षिणी निगम की इस पहल से यह संदेश मिला है कि हर किस्म के कबाड़  को उपयोगी बनाया जा सकता है। सात अजूबों का विश्व में यह पहला ऐसा पार्क है जो वेस्ट से बना है जबकि इससे पहले के ऐसे पार्क सीमेंट, कंक्रीट से बने थे। दिल्ली को इस पार्क पर नाज है।