शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल का अजीबोगरीब दावा, ‘चरक ऋषि ने की थी परमाणु की खोज’

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने एक अजीबोगरीब दावा किया है. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि अणु-परमाणु की खोज चरक ऋषि ने की थी. पोखरियाल ने ये दावा आईआईटी बॉम्बे के एक कार्यक्रम में किया. हालांकि चरक ऋषि को आयुर्वेदिक ग्रंथ चरक संहिता के लिए जाना जाता है.

 

रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, ‘’परमाणुओं और अणुओं पर शोध किसने किया था? जिसने परमाणुओं और अणुओं पर शोध किया और उनकी खोज की वह चरक ऋषि थे.’’ उन्होंने कहा, ‘’चरक ऋषि को आयुर्वेद की पारंपरिक प्रणाली के मुख्य योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने परमाणुओं और अणुओं की खोज भी की है.’’

 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बम्बई (आईआईटी बम्बई) के 57वें दीक्षांत समारोह में निशंक ने आगे कहा, ‘’नासा ने पुष्टि की है कि अगर चलने वाले कंप्यूटर एक वास्तविकता बने तो यह केवल संस्कृत की नींव पर आधारित होगा. संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है. यह एकमात्र भाषा है जहां शब्दों को ठीक उसी तरह लिखा जाता है जिस तरह से वे बोली जाती है.’’

 

भारत को विश्व गुरु बनाने में IIT की भूमिका महत्वपूर्ण पोखरियाल

 

रमेश पोखरियाल निशंक ने भारत को अगले पांच वर्षों में शिक्षा में क्षेत्र में विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करने में आईआईटी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2024 तक शिक्षा में वैश्विक गुरु के तौर पर स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस लक्ष्य को साकार करने में आईआईटी को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है.

 

निशंक ने कहा कि संस्कृति को शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए ताकि व्यक्ति में विकास के लिए स्थायी और दृढ़ आधार हो. उन्होंने आईआईटी बम्बई को ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग’ में 200 शीर्ष विश्वविद्यालय में स्थान बनाने के लिए बधाई दी और इससे अधिक ऊंचा लक्ष्य रखने का आह्वान किया.

भारत अब विश्व का सबसे पसंदीदा निवेश स्थल- पोखरियाल

पोखरियाल ने कहा, ‘‘आईआईटी बम्बई जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने जैसे विकास लक्ष्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.’’ उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘स्टैंडअप इंडिया’ जैसे कार्यक्रम परिवर्तनकारी योजनाएं हैं. उन्होंने कहा कि भारत अब विश्व का सबसे पसंदीदा निवेश स्थल बन गया है.

 

उन्होंने गणित, औषधि और परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में प्राचीन भारत के योगदानों को याद करते हुए कहा, ‘‘भारत की ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में विश्व को एक नेतृत्व प्रदान करने की एक विरासत रही है. आईआईअी छात्रों को यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि भारत यह नेतृत्व की भूमिका निभाना जारी रखे.’’