श्रीलंका- मुस्लिमों पर हुई भीड़ हमलावर, मस्जिद को भी बनाया निशाना, कर्फ्यू लगा

,

   

श्रीलंका के गिरिजाघरों में तीन सप्ताह बाद रविवार को सामुदायिक प्रार्थनाएं शुरू हुईं। लेकिन इसी दिन सुबह चिला शहर के कैथोलिक ईसाई समुदाय के कुछ गुटों ने स्थानीय मुसलमान दुकानदारों पर हमला कर दिया। इस भीड़ ने मस्जिद को भी निशाना बनाया। हालात काबू में करने के लिए यहां सोमवार सुबह छह बजे तक कर्फ्यू  लगा दिया गया है।
ईसाई बहुल आबादी वाला यह शहर श्रीलंका के पश्चिमी तट पर स्थित है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक,  शहर में कैथोलिक और मुसलमानों के बीच शनिवार से तनाव बढ़ रहा था। दोनों समुदायों के बीच कई बार टकराव हुआ। एक ईसाई महिला ने दावा किया कि उसको एक मुस्लिम की दुकान में धमकाया गया। रविवार सुबह गिरिजाघर खुलने के बाद इस इलाके में हिंसा भड़क उठी। अधिकारियों ने बताया कि शहर में अतिरक्ति पुलिस बल तैनात कर दिए गए हैं। स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में हैं।

नेगोंबो शहर में भी हुईं झड़पें 
नेगोंबो नामक ईसाई बहुल शहर में भी इस माह के पहले सप्ताह में ईसाई और मुस्लिमों के बीच झड़पें हुईं। कई लोग घायल भी हुए। इस शहर के प्राचीन संत सेबेस्टियन चर्च में आतंकी हमला हुआ था। ईसाई और मुस्लिम समुदाय के बीच लगातार हो रही झड़पों को देखते हुए आर्कबिशप ने समुदाय को संयम बरतने को कहा था।

असुरक्षित महसूस कर रहे हैं मुसलमान 
ईस्टर हमले को अंजाम देने में स्थानीय जेहादी समूह नेशनल तौहीद जमात का हाथ होने की बात सामने आने के बाद श्रीलंका में आम मुसलमानों के प्रति नाराजगी और संदेह किए जाने की कई घटनाएं सामने आईं। जिसके बाद मुस्लिम समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

राष्ट्रपति करन चुके हैं शांति की अपील 
नेगोंबो में हुई हिंसा के बाद राष्ट्रपति सिरिसेना ने सभी से अपील की थी कि वे मुसलमानों को संदेह की नजर से न देखें, क्योंकि आतंकी एक छोटा समूह था, पूरे समुदाय को दोषी नहीं कहा जा सकता। यहां आबादी के दस प्रतिशत मुसलमान हैं।

 

 कड़ी सुरक्षा में गिरिजाघरों में हुईं सामुहिक प्रार्थनाएं 
श्रीलंका में तीन सप्ताह तक बंद रही गिरिजाघरों में रविवार की सामुहिक प्रार्थना रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हुई। 21 अप्रैल की आतंकी घटना के बाद रविवार की प्रार्थनाओं में श्रद्धालुओं को पहचान पत्र दिखाकर गिरिजाघरों में जाने दिया। सुरक्षा की दृष्टि से गिरजाघरों की ओर जाने वाली सड़कों पर सैन्य बल और सशस्त्र पुलिसकर्मी की भारी गश्त रही। प्रार्थना परिसरों के बाहर भी सुरक्षाकर्मी तैनात थे। गिरजाघरों में जाने वाले हर व्यक्ति का पहचान पत्र देखा जा रहा था और उनकी तलाशी भी ली जा रही थी। गिरजाघरों के पास पार्किंग को प्रतिबंधित कर दिया गया। अधिकारियों ने श्रद्धालुओं से कम से कम सामान लाने की अपील भी की थी।