ईस्टर के मौके पर श्रीलंका के चर्च में प्रार्थना करने के लिए पहुंचे लोगों को निशाना बनाकर आत्मघाती हमले हुए थे। इन हमलों में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
वहीं मरने वालों में 11 भारतीय भी शामिल हैं। इसी बीच श्रीलंका के पश्चिम तट और कोलंबो के उत्तर में स्थित नेगोंबो में रहने वाले पाकिस्तानी शरणार्थियों को स्थानीय लोगों ने निशाना बनाया है। उनपर हिंसक हमले किए गए। जिसकी वजह से बुधवार को हजारों शरणार्थी सामुदायिक नेताओं द्वारा आयोजित बसों के जरिए नेगोंबो से भागने को मजबूर हो गए।
शरण चाहने वाले लगभग 800 पुरुष, महिला और बच्चे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) द्वारा मुहैया करवाए गए किराए के घर में रहते हैं।
Mobs of Christian men in Sri Lanka have been threatening and beating Muslims, dozens of residents said. “They even beat my kids," said a Pakistani refugee who has lived in Sri Lanka for 2 years. https://t.co/AO5sNCgvs5
— The New York Times (@nytimes) April 25, 2019
उन्हें उनके सिंहलीस, क्रिश्चियन और मुस्लिम मकान मालिकों ने अस्थायी घरों से बाहर निकाल दिया क्योंकि उन्हें डर है कि इन लोगों का आतंकियों के साथ कोई लिंक हो सकता है।
श्रीलंका के अधिकारियों का कहना है कि आत्मघाती हमलों में 359 नहीं बल्कि 253 लोगों की जान गई है। उनका कहना है कि ऑटोप्सी पूरी हो चुकी है।
They ran away from Pakistan because they weren’t considered Muslim. In Sri Lanka, they’re on the run because they’re Muslim. The never-ending travails of Pakistani Ahmadi refugees in Sri Lanka. https://t.co/rVPeKXdrer
— Dnyanesh Kamat (@sybaritico) April 26, 2019
दोबारा शव परीक्षण और डीएनए रिपोर्ट का मिलान करने से पता चला कि कुछ शवों को दो बार गिना गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘बहुत से पीड़ितों के शव काफी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गए थे। कुछ शवों को दो बार गिना गया था।’
अपने देश में सुन्नी बहुल लोगों के उत्पीड़न का सामना करने वाले ये शरणार्थी अहमदिया संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं और वह पांच साल पहले पाकिस्तान से भागकर श्रीलंका आ गए थे।
श्रीलंका पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को परिवहन की सुविधा मुहैया करवाता है और उनका तब तक ख्याल रखता है जब तक कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड या कोई और देश उन्हें शरण प्रदान नहीं कर देता।
बुधवार को सामूहिक अंतिम संस्कार में मृतकों के परिवारजनों ने हिस्सा लिया। इसी दौरान हाथों में लोहे के डंडे लिए भीड़ ने पाकिस्तानी शरणार्थियों के घरों पर हमला कर दिया।
वह घरों के अंदर घुसे, दरवाजे और खिड़कियों को तोड़ दिया और पुरुषों को खींचकर बाहर ले आए। मुस्लिम काउंसिल ऑफ श्रीलंका के उपाध्यक्ष हिल्मी अहमद ने कहा, ‘हमने सुना है कि बुधवार को बाकी समुदायों के साथ पाकिस्तानी शरणार्थियों का संघर्ष हुआ।’
मकान मालिकों ने हिंसा को भड़काने का काम किया जिसकी वजह से 400 परिवारों को दूसरे स्थान पर पुनर्स्थापित किया गया है। यंग मुस्लिम मेन एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाज दीन ने कहा, ‘लगभग 60 पुरुष, महिला और बच्चे नेगोंबो पुलिस थाने में हैं। यूएनएचआरसी को निर्णय लेना है कि इन परिवारों का क्या करना है।’