सभी निजी अल्पसंख्यक कॉलेजों में नीट के जरिए ही होगा दाखिला- सुप्रीम कोर्ट

   

सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा (राष्‍ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) को लेकर मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नीट परीक्षा को सही ठहराते हुए कहा कि देश के सभी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीस, बीडीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला परीक्षा के आधार पर होंगे। इनमें प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन्स और अल्पसंख्यक की तरफ से चलाए जा रहे मेडिकल कोर्स भी शामिल हैं। कोर्ट ने साफ किया कि भावी मेडिकल छात्रों के लिए कॉमन प्रवेश परीक्षा होने से अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच जस्टिस अरूण मिश्रा, विनीत सारन और एम.आर. शाह ने कहा- नीट के अंतर्गत आने से अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि व्यवस्था में मौजूद भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के लिए नीट लाया गया था और यह राष्ट्र हित में है। अभी भी दाखिला प्रक्रिया में कई खामियां हैं जिन्हें बाहर करने की जरूरत है।

क्यों किया गया विरोध?

प्राइवेट कॉलेजों की तरफ से अनैतिक कृत्यों पर बरसते हुए कोर्ट ने कहा कि सभी प्राइवेट और अल्पसंख्यक संस्थानों को आवश्यक तौर पर नीट के आधार पर दाखिला होना चाहिए। इससे पहले, अल्पसंख्यक संस्थानों ने नीट के तहत दाखिले की प्रक्रिया का विरोध करते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि इससे बिना सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक निजी पेशेवर संस्थानों पर असर पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि शिक्षा का मानक बना रहे और  प्रबंधन के विशेष अधिकार की आड़ में कुप्रबंधन न हो। कोर्ट ने आगे कहा कि नीट के रूप में नियामक उपाय शिक्षा को उसी दान के दायरे में लाना है, जो उसका चरित्र खो गया है। कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि नीट ने धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक समूहों की तरफ से शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के अधिकार के साथ हस्तक्षेप किया है।

क्या है नीट?

दरअसल, मेडिकल से जुड़े कोर्स में प्रवेश के लिए नीट की परीक्षा अनिवार्य है। लेकिन साल 2016 से पहले मेडिकल कोर्स में दाखिला AIPMT यानि यानि ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट के आधार पर होता था। इसी आधार पर मेडिकल के छात्रों को MBBS और BDS जैसे कोर्स में दाखिला मिलता था। लेकिन, साल 2016 के बाद रास्ट्रीय स्तर पर सिर्फ एक परीक्षा का आयोजन होने लगा है।