मोहम्मद जाविद करीब 12 साल तक एक ऐसे फैसले का इंतजार करते रहे जो उनके भाई एवं उनके परिवार को न्याय दिला सकता था. 2007 के समझौता एक्सप्रेस में इस परिवार नें अपनों को खोया था, लेकिन स्वामी असीमानंद सहित चार आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया. इस फैसले से जाविद बेहद परेशान हो गए हैं. वहीं, बीजेपी ने इस फैसले की सराहना करते हुए इसे एतिहासिक बताया है. विस्फोट में जाविद ने अपने भाई शब्बीर के अलावा, भाभी समीना एवं उनके तीन बेटे- शाहबाज, शहरयार, शाहरोज और बेटी मिसबाह को खोया. इसके अलावा उनके पांच रिश्तेदार भी इस विस्फोट में मारे गए. 37 वर्षीय जाविद ने गया से फोन पर बताया, ‘‘हमें न्याय नहीं मिला. असल गुनाहगार अब भी बाहर हैं. यह सही फैसला नहीं है.’’

जाविद ने कहा कि 2008 में उनकी मां की मौत सदमे से हो गई थी. इस घटना को याद करते हुए जाविद ने कहा कि विस्फोट रात में हुआ था और उन्हें इसकी जानकारी सुबह मिली. जाविद ने कहा कि केंद्र से उन्हें घोषणा के मुताबिक 10 लाख रुपये का मुआवजा भी नहीं मिला क्योंकि शब्बीर और उनके परिवार का डीएनए सैंपल में मिलान नहीं हुआ.

भाजपा ने कहा- ऐतिहासिक है फैसला
वहीं, भाजपा ने बुधवार को समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में आरोपियों को बरी करने के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताया और कहा कि यह इस तरफ इशारा करता है कि पूर्व में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने आतंक के मामले में कैसे राजनीति की थी. समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट मामले में 68 लोगों की मौत हो गई थी. मारे गए लोगों में से ज्यादातर पाकिस्तानी थे. एक विशेष अदालत ने बुधवार को स्वामी असीमानंद और तीन अन्य को बरी कर दिया. भाजपा नेता एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस मामले में आया ऐतिहासिक फैसला इस ओर इशारा करता है कि पूर्व संप्रग सरकार ने आतंक को लेकर किस तरह राजनीति की थी.