6 मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं, अकेला पड़ गया सुन्नी बोर्ड!

   

नई दिल्ली : राजनीतिक रूप से संवदेनशील अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बीच एक और खबर आई कि संविधान पीठ के सामने कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल ने ‘समझौते’ का एक नया प्रस्ताव पेश किया है, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने भी इसकी पुष्टि की है।

बुधवार को मीडिया में खबरें आईं थी कि अयोध्या भूमि विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थता पैनल ने एक सील बंद रिपोर्ट दी थी, जिसके बारे में कहा जा रहा था कि ये कुछ हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच सेटलमेंट था। इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील शाहिद रिजवी ने कहा, ‘अगर आप उन कामों को करना चाहते हैं, जो कभी नहीं कर सकते हैं तो आप उसे आखिरी वक्त में भी कर सकते हैं। कोर्ट के बाहर, मध्यस्थता पैनल के सामने दोनों पक्षों ने अपनी राय रखी है और कुछ शर्तों पर एक मत हैं, इनका खुलासा मैं नहीं कर सकता।’

अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में शुक्रवार को तब नया ट्विस्ट आया, जब सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा बाकी 6 मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि वे विवादित स्थल पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड के उस प्रस्ताव पर हैरानी जताई, जिसमें कहा गया है कि दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन मिलने जैसी शर्तें मानने पर वह विवादित स्थल पर अपना दावा वापस ले लेगा। मुस्लिम पक्षकारों के एक वकील एम.आर. शमशाद ने तीन पेज का बयान जारी करके कहा कि पक्षकार एम. सिद्दिक, मिस्बाहुद्दीन, मोहम्मद हाशिम, फारुक अहमद, इकबाल अंसारी और हाजी महबूब समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। इस मुकदमे में हम सभी समुदाय और वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ऐसे में एक पक्षकार समझौता नहीं कर सकता। केस में अन्य मुस्लिम पक्षकारों की भी उतनी हैसियत है, जितनी सुन्नी वक्फ बोर्ड की है। अब जो भी तय होगा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से होगा।

विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कहा है कि राम मंदिर मामले में सुनवाई खत्म होने के बाद फिर से मध्यस्थता का हौवा पैदा करना संशय पैदा करने की शरारतपूर्ण कोशिश है, सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करनी चाहिए। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ऐसी किसी सुलह के लिए न तो हिंदू पक्षकारों से संपर्क किया गया था और न ही हम शामिल हुए थे। हमने साफ कह दिया था कि ऐसी किसी कवायद में हम इच्छुक नहीं हैं।