समाजिक बहिष्कार करने पर हरियाणा के दलितों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया!

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पिछले दो सालों से सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हरियाणा के हिसार जिले के एक गांव के अनुसूचित जाति के लोगों ने इंसाफ के लिए अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

दबंगों का शिकार
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, इस समुदाय के लोगों का कहना है कि हैंड पंप से पानी निकालने के कारण वे पिछले दो वर्ष से अधिक समय से प्रभावशाली समुदाय के सामाजिक बहिष्कार का शिकार हो रहे हैं। इस गांव में अनुसूचित जाति के 500 घर हैं।

जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस मसले को गंभीर बताते हुए कहा कि यह सामाजिक बहिष्कार और अत्याचार से जुड़ा मसला है।

पुलिस पर उठे सवाल
पुलिस को इस पर गौर करना चाहिए। पीठ ने हरियाणा सरकार के वकील से कहा कि सुनवाई की अगली तारीख आठ नवंबर पर वह इस मामले से जुड़े वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ अदालत आएं। साथ ही पीठ ने हरियाणा सरकार को इस मामले पर स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा है।

2017 से हो रहा बहिष्कार
दलित समुदाय के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि दो जुलाई, 2017 से उनका बहिष्कार किया जा रहा है। उनका आरोप है कि जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है उनमें से एक को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है।

याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया कि इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाए और हरियाणा सरकार को निर्देश दिया जाए कि इस बहिष्कार को तत्काल खत्म कराया जाए। साथ ही इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर जुर्माना हो और पीड़ितों को मुआवजा मिले।