सरकार के सहयोगी दलों के विरोध की वजह से तीन तलाक विधेयक लटकने के आसार

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राज्यसभा मे लंबित नागरिकता विधेयक और तीन तलाक विधेयक के शीत सत्र में पारित नहीं हो पाने के आसार बन रहे हैं। जहां भाजपा के सहयोगी दल जनता दल युनाइटेड ने बृहस्पतिवार को पटना में तीन तलाक बिल की आलोचना करते हुए राज्यसभा में उसके खिलाफ मतदान करने का ऐलान किया।

जदयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना था कि उनकी पार्टी का मानना है कि इस बिल को पारित करने से पहले सभी संबंधित पक्षों से परामर्श करना चाहिए। यही राय उन्होंने समान नागरिक संहिता के मामले पर लॉ कमीशन को दी थी। उन्हेंने कहा कि तीन तलाक बिल को जल्दबाज़ी में पारित कराने के बजाए और राय मशविरा किया जाना चाहिए।

विपक्ष कभी यही मांग कर रहा है। बारह दलों के नेताओं ने राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश कर इस बिल पर और विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति के हवाले किए जाने की मांग की है। अब जदयू के समर्थन के बाद इस बिल का वर्तमान स्वरूप में पारित हो पाना मुश्किल है।

इसी तरह, नागरिकता विधेयक पर भी प्रवर समिति ने वर्तमान स्वरूप में पारित किए जाने पर आपत्ति जताई है। यह बिल पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक का दर्जा पाए हिंदू, जैन, बौद्ध सिख आदि धर्म के अनुयायियों के भारत में शरण लेने पर नागरिकता देने की इजाजत देता है।

लेकिन प्रवर समिति में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और माकपा सदस्यों ने शरणार्थियों में धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए इस पर आपत्ति जता दी है। चूँकि राज्यसभा में सत्ता पक्ष क्षमा बहुमत नहीं है इसलिए इन बिलों के पारित न हो पाने की आशंका है।