सरकार पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की व्‍यापार संभावनाओं को बढ़ावा दे रही है : डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

   

केन्‍द्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (डोनर) राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक‍ शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने आज नई दिल्‍ली में कहा कि सरकार पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की व्‍यापार संभावनाओं को अत्‍यंत बढ़ावा दे रही है। उन्‍होंने कहा कि इससे न केवल पूर्वोत्‍तर क्षेत्र को आर्थिक दृष्टि से बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सीमाओं पर स्थित देशों जैसे कि म्‍यांमार, भूटान एवं बांग्‍लादेश के साथ और ज्‍यादा सहभागिता भी संभव हो पाएगी।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने यह बात तब कही जब म्‍यांमार में भारत के राजदूत-नामित श्री सौरभ कुमार ने अपना नया पद संभालने के लिए यांगून रवाना होने से पहले उनसे भेंट की। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की व्‍यक्तिगत पहल से पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के व्‍यवसाय एवं व्‍यापार क्षेत्र में गतिविधियां तेजी से बढ़ गई हैं और इसके साथ ही पूर्वी सीमाओं पर स्थित देशों के साथ व्‍यापार में दिलचस्‍पी भी काफी बढ़ गई है। उन्‍होंने विशेषकर पिछले साल गुवाहाटी में आयोजित आसियान बिजनेस समिट का उल्‍लेख किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्‍वयं इसे ध्‍यान में रखते हुए इस शिखर सम्‍मेलन में शिरकत की थी और भारत एवं अन्‍य देशों की उन व्‍यापारिक एवं कारोबारी हस्तियों को संबोधित किया था, जो एक साझा प्‍लेटफॉर्म पर एकजुट हुए थे।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि यह उनका मानना है कि ‘एक्‍ट ईस्‍ट नीति’ के मद्देनजर सीमाओं के निकट स्थित पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की विकास एवं व्‍यापार संभावनाओं को बढ़ाना भी अत्‍यंत आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि, उदाहरणस्‍वरूप, भारत के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में विकसित किसी भी उत्‍पाद को सीमा के उस पार आसानी से ग्राहक मिल जाएंगे, क्‍योंकि दोनों ही जगहों पर जीवन शैली और खान-पान की आदतें एक जैसी हैं।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने 100 वर्ष पुराने भारतीय वन अधिनियम, 1919 में संशोधन करने का साहसिक निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की सराहना की। दरअसल इस संशोधन से ‘देश में विकसित बांस’ को वन अधिनियम से छूट मिल गई है। उन्‍होंने कहा कि यह निर्णय  युवाओं के बीच आजीविका की दृष्टि से अत्‍यंत उत्‍साहवर्धक साबित हुआ है।