सरहदों में घिरे लौट आए घर : सरहदें जमीनों को बांटतीं हैं, लेकिन इंसानों पर क्यों जुल्म करती हैं?

   

अल्लाह-अल्लाह करके वक्त गुजारा। टीवी से पता चला पाकिस्तान ने ट्रेन रोक दी है। घर में सब रोने लगे थे। ट्रेन को लेकर मन में बुरे ख्याल आ रहे थे। दुआएं कर रहे थे, या अल्लाह किसी तरह ट्रेन इंडिया में आ जाए। कुछ अनहोनी न हो। ये बताते हुए सना की आंखें भर आईं, जो पाकिस्तान से आ रहीं अपनी ननद का इंतजार कर रही थीं।

समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान ने रोक दी है। पाकिस्तानी ड्राइवर लेकर नहीं आया। इस वजह से जो अटारी स्पेशल ट्रेन पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सुबह 3:35 पर आनी थी, वो सुबह 8:06 बजे पहुंची। वो भी तब जब इंडियन गार्ड्स और ड्राइवर जाकर लाए। ट्रेन में आने वालों के रिश्तेदार पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर चक्कर लगा रहे थे।

परेशान। बेसब्री से इंतजार। सूरज निकल आया था। 8 बजे के करीब अनाउंसमेंट हुआ। अटारी स्पेशल ट्रेन प्लैटफॉर्म एक पर आ रही है। इंतजार करने वालों के चेहरे पर खुशी की चमक थी। मीडिया वालों के कैमरे बाहर निकल आए थे। ट्रेन नजदीक आई, लोग अपनों के गले लगने के लिए दौड़ पड़े। पाकिस्तान से आए लोगों ने ट्रेन से नीचे कदम रखा नहीं था कि अपनों को करीब देखकर आंखें भर आईं। गले चिपटे तो आंखें आंसू रोक नहीं पाईं। सब अल्लाह का शुक्रिया अदा कर रहे थे। मगर दो महिलाएं बुर्का संभाले सुरक्षा गार्ड की तरफ दौड़ रही थीं। उनका शुक्रिया अदा कर रही थीं- ‘सर थैंक्यू! आपने हमारे रिश्तेदारों से मिला दिया। आप उन्हें ले आए शुक्रिया सर।’ सुरक्षा गार्ड अपनी ड्यूटी निभाकर चले गए।

सरहदों की बंदिशें कैसे इंसानी रिश्तों पर सितम ढाती हैं, इसका दर्द सना की ननद अस्रा ने सुनाया। रोना बंद नहीं हुआ है, आंखों में दर्द झलक रहा है। अस्रा इंडियन हैं, शादी पाकिस्तान में हुई है। तीन बच्चे हैं। छोटा बच्चा 4 साल का है। वीजा पर पाकिस्तान में रह रही हैं नैशनलिटी नहीं मिली है। अस्रा कहती हैं, ‘मेरी अम्मी और पापा की मौत हुई, लेकिन मेरे बच्चों को वीजा नहीं मिल पाया तो मैं दोनों की आखिरी बार सूरत भी नहीं देख पाई। अब काफी टाइम बाद आई तो ट्रेन पाकिस्तान में ही रुक गई। अब डर ये है कि अगर दोनों देशों के बीच टेंशन बढ़ती है तो फिर मुझे कैसे वीजा मिलेगा। मेर शौहर और बच्चों को पाकिस्तान जाना पड़ जाएगा और मैं अकेली रह जाऊंगी।’ अस्रा सवाल करती हैं कि सरहदें जमीनों को बांटतीं हैं, लेकिन इंसानों पर क्यों जुल्म करती हैं। सना कहती हैं, ट्रेन को इंडिया ना लाना पाकिस्तान की बड़ी ही गैर जिम्मेदाराना हरकत थी। जब हमारे देश से सभी को सुरक्षा के साथ पाकिस्तान पहुंचाया जाता है तो पाकिस्तान ने क्यों ट्रेन बीच रास्ते में छोड़ दी।

पाकिस्तान से लौटीं जाफराबाद की नजाकत जहां बताती हैं, ट्रेन रुकी तो सभी बहुत डर गए थे। कुछ सही जानकारी नहीं मिल रही थी। गर्मी से बुरा हाल था। लेकिन जब पता चला कि पाकिस्तान का ड्राइवर का कुछ मामला हुआ है तो और डर बढ़ गया। दुआ करने लगे कि किसी तरह इंडिया में दाखिल हो जाएं। ये ही बात तिलक नगर में रहने वाली कमलेश कुमारी बताती हैं कि डर तो बहुत लग रहा था, जब अटारी पहुंच गए तब राहत मिली।

जाफराबाद से हिना भी अपनी ननद को रिसीव करने पहुंची थीं। हिना पाकिस्तान से हैं और शादी इंडिया में हुई है, लेकिन अब वो भारतीय हैं। ननद से जब मिलती हैं तो उनकी सिसकी बंध जाती है। कहती हैं, ‘पाकिस्तान को ऐसा नहीं करना चाहिए था। लोगों की क्या खता थी, जो परेशान कर दिया। ट्रेन चलती रहनी चाहिए, नहीं तो हमारे रिश्तेदार आधे इधर रह जाएंगे और आधे उधर। ये नाइंसाफी होगी।’ ढेर सवालों के साथ चेहरों पर खौफ और खुशी के आंसू सजाए लोग अपने घरों को लौट गए।