सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण: देश के दलित क्या सोचते हैं?

   

सवर्ण समुदाय को साधने के लिए मोदी सरकार ने संविधान में संशोधन कर आर्थिक रूप से पिछड़े 10 फीसदी सवर्णों को आरक्षण देने का कदम उठाया है। संसद के दोनों सदनों में संविधान संशोधन सामान्य वर्ग आरक्षण विधेयक पास हो गया है।

सरकार के इस कदम को लेकर दलित और ओबीसी समुदाय के लोग सड़क पर उतरने का मन बना रहे हैं। इसे लेकर बुधवार को दिल्ली में दलित और ओबीसी संगठनों से जुड़े लोगों ने बैठक कर रणनीति बनाई है।


हालांकि सामान्य वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण के खिलाफ बुधवार को सड़क पर उतरकर कुछ लोगों ने अपने गुस्से का इजहार भी कर दिया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंबेडकर प्रतिमा पर सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने मिलकर सामान्य वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण के विरोध में प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा कि सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का फैसला जुमला नहीं, संविधान, सामाजिक न्याय पर बड़ा हमला है। यह आरक्षण के खात्मे की मनुवादी साजिश है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

यादव सेना अध्यक्ष शिवकुमार यादव ने कहा कि बीजेपी सत्ता में आने के बाद बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों के भारत के संविधान को बदलने की हर संभव कोशिश कर रही है। आरक्षण का यह बदलाव उसके खात्मे की तैयारी है।

सत्ता व शासन की संस्थाओं में पहले से ही सवर्णों की भागीदारी आबादी के अनुपात से कई गुणा ज्यादा है। सरकार 2 अप्रैल के भारत बंद को न भूले, अगर सरकार इस फैसला वापस नहीं लेती तो अवाम सड़कों पर उतरेगी।