साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर विवाद, शिरडी शहर बंद किया गया !

   

महाराष्ट्र के शिरडी में स्थानीय लोगों ने साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता जा रहा है. शनिवार देर रात 12 बजे से ग्राम सभा ने रात 12 बजे से शिरडी शहर बंद कर दिया. हालांकि, साईं बाबा मंदिर के न्यासियों ने शनिवार को कहा कि बंद के बावजूद मंदिर खुला रहेगा. शिरडी स्थित साईं मंदिर में देशभर के लाखों श्रद्धालु आते हैं.

 

दरअसल साईं बाबा के कुछ भक्त उनका जन्म स्थान शिरडी को मानते हैं. शिरडी उनकी कर्मस्थली भी रही है और यहीं उन्होंने देहत्यागी थी. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो उनका जन्म स्थान शिरडी को नहीं मानते. उन्हीं में से एक हैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे.

 

ये सारा विवाद भी उद्धव ठाकरे के बयान के बाद ही भड़का है. उन्होंने कहा था, ”परभणी जिले के नजदीक पाथरी गांव में साईं बाबा के जन्म स्थान पर 100 करोड़ के विकास काम करवाएंगे. पाथरी गांव में इस प्रोजेक्ट पर काम किया जाएगा.”

 

साईं बाबा के जन्म स्थान पर हुए विवाद को लेकर एबीपी न्यूज़ ने शिवसेना के मंत्री अब्दुल सत्तार से बात की. सत्तार ने साफ किया कि उद्धव ने ऐसा एलान क्यों किया. अब्दुल सत्तार ने कहा, ”साईं बाबा के जन्म स्थान पाथरी को को सरकार की तरफ से जो फंड देने की बात हुई है उसपर बाकयदा मीटिंग हुई है. उस मीटिंग में मैं भी मौजूद था. मुख्यमंत्री को कागजातों के साथ बताया गया है कि साईं बाबा का असली जन्म स्थान परबनी के पाथरी गांव में ही हुआ था. इसी के आधार पर उस गांव के विकास के लिये सरकार की तरफ से सहायता की जा रही है. ”

 

स्थानीय बीजेपी विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि उन्होंने स्थानीय लोगों द्वारा बुलाए गए बंद का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ”मुख्यमंत्री को साईं बाबा का जन्मस्थान पाथरी होने संबंधी बयान को वापस लेना चाहिए.” पूर्व राज्यमंत्री ने कहा, ”देश के कई साईं मंदिरों में एक पाथरी में भी है. सभी साईं भक्त इससे आहत हुए हैं, इसलिए इस विवाद को खत्म होना चाहिए.”

 

साईं बाबा के जन्म को लेकर क्या कहानी है?
– 1985 से 90 के बीच साईं संस्थान के विश्वास खेर ने साईं जन्मस्थान पर रिसर्च किया.
– 1972 के साईं सचरित्र के आठवें प्रकाशन के अध्याय 7 में पाथरी जन्मस्थान का जिक्र
– 1994 के साईं सचरित्र संस्करण में साईं बाबा का जन्म पाथरी में होने की जानकारी
– साईं के जन्मस्थान का जिक्र पाथरी न होकर पाथर्डी नाम से
– अंग्रेजी सचरित्र संस्करण में साईं का जन्म पाथरी के ब्राम्हण परिवार में होने की जानकारी
– संत दासगणू महाराज ने अपने दोहे में साईं की तुलना कृष्ण से की
– “जैसे कृष्ण का जन्म जिस तरह से मथुरा में हुआ परंतु गोकुल पहुंचे उसी तरह साईं बाबा का जन्म सेलू मानवत यानी पाथरी में हुआ है और शिर्डी पहुंचे”
– 1978 में साईं बाबा के भुसारी घराने के अंतिम वारिस रघुनाथ भुसारी ने पाथरी में मंदिर के लिए जगह दी
– जगह सिर्फ 5 हजार रूपये में ली गई थी जिसके परिसर में आज भी विकास काम जारी