सिर्फ जलील ही नहीं, विजयन भी कुर्सी छोड़ें : कांग्रेस

   

तिरुवनंतपुरम, 15 अप्रैल । केरल के उच्च शिक्षा मंत्री के.टी. जलील ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद राजनीति हलचल तेज हो गई है। वहीं नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को भी पद छोड़ना होगा।

मामला 2018 में जलील द्वारा की गई नियुक्ति से संबंधित है जब उन्होंने एक राज्य के स्वामित्व वाले निगम में महाप्रबंधक के रूप में अपने करीबी रिश्तेदार को पोस्ट किया था। लोकायुक्त ने कहा कि जलील को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है और भाई-भतीजावाद में शामिल हैं।

चेन्निथला ने कहा कि जलील द्वारा किए गए इस अपराध में विजयन भी भागीदार हैं क्योंकि 2013 में तत्कालीन यूडीएफ सरकार ने एक कैबिनेट फैसले के जरिए इस पद के लिए योग्यता बदल दी थी, जिस पर जलील ने अपने रिश्तेदार को नियुक्त किया था।

चेन्निथला ने कहा, हालांकि, जब जलील ने अपने रिश्तेदार को नियुक्त करने का फैसला किया, तो योग्यता की आवश्यकताओं को बदलने के लिए कैबिनेट की अनुमति लेने के बजाय वह विजयन पर हावी रहे, जिन्होंने फाइल को कैबिनेट में ले जाने के बजाय खुद ही मंजूरी दे दी और इसलिए वह भी इस अपराध में एकभागीदार हैं और उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

जलील ने अपने करीबी रिश्तेदार के.टी. अदीब को अपने मंत्रालय के तहत केरल राज्य अल्पसंख्यक विकास वित्त निगम में महाप्रबंधक नियुक्त किया और तब से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की यूथ विंग, कांग्रेस के नेतृत्व वाले दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी दल यूडीएफ विरोध कर रहा था।

असेंबली के अंदर और बाहर भारी विरोध के बाद भी जलील ने बचाव किया कि नियुक्ति पूरी प्रक्रिया के बाद हुई थी और उन्हें सीपीआईएम का समर्थन भी प्राप्त था, लेकिन बाद में अदीब ने पद छोड़ दिया और अपनी बैंकिंग नौकरी पर लौट गया।

यह पी.के. जलील के गृह जिले मलप्पुरम के निवासी मोहम्मद शफी जो पोस्टिंग के खिलाफ लोकायुक्त के पास पहुंचे थे।

चेन्निथला ने कहा, अब हम सुन रहे हैं कि सरकार इस मामले को केरल उच्च न्यायालय में ले जाने वाली है। यह वास्तव में आश्चर्य की बात है कि यह सरकार नैतिकता की बात करती है और दूसरी तरफ वे सब कुछ करती हैं जो अनैतिक है।

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