सीबीआई को एम्स टीम के आचरण की जांच करनी चाहिए : सुशांत के परिवार के वकील

   

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर । सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में एम्स की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक को पत्र लिखने के कुछ घंटों बाद ही वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

सुशांत की मौत के मामले में उनके पिता के. के. सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विकास सिंह ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से एम्स पैनल की अगुवाई करने वाले डॉ. सुधीर गुप्ता की भूमिका को जांचने-परखने की मांग की।

मीडिया को संबोधित करते हुए, सिंह ने कहा, सीबीआई को एम्स टीम के आचरण पर गौर करना चाहिए, उन्हें जांच करनी चाहिए कि ये डॉक्टर किससे मिले और मीडिया में दिए गए बयानों की जांच की जानी चाहिए।

सिंह ने एम्स की राय पर सवाल उठाते हुए कहा, यह आत्महत्या है या नहीं, इस प्रश्न का जवाब डॉक्टरों द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए। इसका जवाब जांचकर्ताओं की ओर से दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि टीम द्वारा सीबीआई को सौंपी गई रिपोर्ट में फ्रैक्च र और चोटों के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने विसरा रिपोर्ट से कुछ भी बाहर आने को मुश्किल करार दिया।

उन्होंने कहा, एम्स का आचरण संदिग्ध है, उनके डॉक्टर टीवी चैनलों पर राय साझा करने के लिए आते हैं, जबाकि रिपोर्ट को जनता में साझा नहीं किया जाता है।

वकील ने कहा कि डॉक्टरों की टीम द्वारा ऐसे बयान मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नैतिक दिशानिर्देशों के खिलाफ हैं।

सिंह ने कहा, उनका काम केवल मेडिकल कानूनी राय देना था। उन्हें प्रेस को बयान नहीं देना चाहिए था। सीबीआई को उनके आचरण पर भी ध्यान देना चाहिए।

सिंह ने कहा कि डॉ. गुप्ता ने उनके साथ एक अच्छा तालमेल साझा किया और जब उन्होंने उन्हें तस्वीरें भेजीं तो उन्होंने कहा था कि यह आत्महत्या का नहीं, बल्कि 200 प्रतिशत गला घोंटने का मामला है। उन्हें ऐसे ढीले बयान नहीं देने चाहिए थे। एम्स के पास सुशांत का शव नहीं था। उन्हें केवल एक राय देनी थी।

इससे पहले दिन में, दिवंगत अभिनेता के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी टीम ने सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला को पत्र लिखकर दावा किया था कि एम्स बोर्ड द्वारा आयोजित फोरेंसिक परीक्षा दोषपूर्ण है।

सीबीआई निदेशक को संबोधित एक पत्र में, वरुण सिंह द्वारा प्रस्तुत कानूनी टीम ने कहा, एम्स द्वारा सीबीआई को भेजी गई रिपोर्ट के बारे में मुझे मीडिया से पता चला। यह रिपोर्ट 14 जून 2020 को हुई सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामले में सीबीआई के मत के संबंध में है। एम्स के जांच दल में शामिल कुछ डॉक्टरों को भी मैंने टीवी पर आकर उनके द्वारा की गई फोरेंसिक जांच पर बयान देते हुए सुना।

पत्र में कहा गया कि, कूपर अस्पताल में किए गए पोस्टमार्टम में कई विसंगतियां थीं। पत्र के अनुसार मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना पोस्टमार्टम रात में किया गया और नियमों की अनदेखी की गई, जिस पर पूरी दुनिया के कई फोरेंसिक विशेषज्ञ एकमत हैं।

पत्र में कहा गया, पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी नहीं की गई। भविष्य में जांच हो सके, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में विसरा सहेज कर नहीं रखा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का समय दर्ज नहीं किया गया। शरीर के घावों पर ध्यान नहीं दिया गया, इसलिए उन घावों के कारणों पर कुछ नहीं कहा गया।

पत्र के अनुसार, रिपोर्ट में उस पैर का जिक्र नहीं है, जो फ्रैक्च र हुआ था। ऐसी कई विसंगतियां हैं, जो सावधानीपूर्वक की गई फोरेंसिक जांच में सामने आती, लेकिन एम्स के दल ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जैसा कि एक डॉक्टर द्वारा टीवी चैनल पर दिए गए इंटरव्यू में बताया गया।

पत्र में कहा गया, डॉ. सुधीर गुप्ता का रवैया अनैतिक, गैर पेशेवर है और मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के दिशा निदेशरें का उल्लंघन है।

एम्स के फोरेंसिक विभाग के अध्यक्ष गुप्ता ने शनिवार को कहा था कि मेडिकल बोर्ड ने राजपूत की मौत के मामले में हत्या की संभावना को नकार दिया है और इसे लटक कर की गई आत्महत्या बताया है।

सुशांत 14 जून को अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे।

Disclaimer: This story is auto-generated from IANS service.