सुषमा स्वराज: कुछ अनकहीं बातें!

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सुषमा स्वराज एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ और भारत की पूर्व विदेश मंत्री थीं। वे वर्ष 2009 में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही हैं। वे सन 2009 के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के 19 सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रही थीं।

पलवल कानूगो मोहल्ला में जन्मी उनकी माताजी की देहांत बच्चपन में ही होने के कारण, सुषमा स्वराज ने अपने नाना जी के यहाँ, एस॰डी॰ कालेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष 2014  में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी थीं। कैबिनेट में उन्हें शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।

सुषमा स्वराज (विवाह पूर्व शर्मा) का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा (तब पंजाब) राज्य की [कानूगो मोहल्ला पलवल] में, उनके नाना हरदेव शर्मा तथा नानी लक्ष्मी देवी, उनकी (सुषमा जी की) माता राममूर्ति जी की मौत के बाद, उनको अपने साथ घर अम्बाला छावनी ले गए, वे उनके साथ उनकी बहन वंदना शर्मा को भी ले गए थे। उनके नाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य रहे थे।

स्वराज का परिवार मूल रूप से लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्होंने अम्बाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। 1960 में उन्हें अपने कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था। वे तीन साल तक लगातार एस॰डी॰ कालेज छावनी की एन सी सी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की श्रेष्ठ वक्ता भी चुनी गईं।

इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ से विधि की शिक्षा प्राप्त की।पंजाब विश्वविद्यालय से भी उन्हें 1963 में सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला था। 1963 में ही स्वराज भारतीय सर्वोच्च न्यायलय में अधिवक्ता के पद पर कार्य करने लगी।

13 जुलाई 1945 को उनका विवाह स्वराज कौशल के साथ हुआ, जो सर्वोच्च न्यायालय में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे।

कौशल बाद में छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे, और इसके अतिरिक्त वे मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है, बांसुरी, जो लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही हैं। 67 साल की आयु में 6 अगस्त, 2019 की रात 11.26 बजे सुषमा स्वराज का दिल्ली में निधन हो गया।