स्वर्ण आरक्षण- ‘नौकरी है नहीं, आरक्षण दे रहे हैं, गंजों के शहर में, कंघा बेच रहे हैं’

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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी 124वें संविधान संशोधन को मंजूरी मिल जाने से 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण का रास्ता साफ होने का असर सोशल मीडिया पर भी दिखाई दिया। राज्यसभा में मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद संविधान संशोधन के पक्ष में फैसला आते ही सोशल मीडिया पर संदेशों की बाढ़ लग गई। जानी-पहचानी हस्तियों से लेकर आम आदमी तक हर किसी ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को इस फैसले के लिए बधाई देने वालों की संख्या अधिक रही तो रोचक तरीके से सरकार की खिंचाई करने वाले भी दिखाई दिए।
भाजपा की सबका साथ, सबका विकास की नीति तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत सामाजिक और आर्थिक समरसता के एक नए युग की और अग्रसर है। केंद्रीय नेतृत्व के इस न्यायसंगत निर्णय से निश्चित रूप से सामान्य वर्ग की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। – वसुंधरा राजे
भारत ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आखिरकार आरक्षण का अधिकार हासिल कर लिया। गरीबों की सहायता करनी चाहिए, सामाजिक विभाजन या प्रतिस्पर्द्धी वोट बैंक को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
– डॉ. डेविड फ्राले
ऐतिहासिक दिन, लंबे समय तक याद रहेगा। केवल नरेंद्र मोदी जैसा एक आदमी ही सबका साथ, सबका विकास कांसेप्ट को सच साबित कर सकता है। – अखिलेश मिश्रा
सरकार को 100 फीसदी जातिगत आरक्षण पर विचार करना चाहिए। जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण दिया जाए। – यशपाल सिंह
नौकरी है नहीं, आरक्षण दे रहे हैं, गंजों के शहर में, कंघा बेच रहे हैं। – सीमा यादव

सवर्ण वो जाति है, जिसने रजाई में घुसकर, पोस्ट पे पोस्ट पेलकर आरक्षण हासिल कर किया.. न पटरी तोड़ी, न शहर जलाए, न हड़ताल, न आंदोलन किए, बधाई हो सवर्णों को।        – पूजा सांगवान

सबका साथ, सबका विकास सिर्फ एक जुमला नहीं है, बल्कि हमारी एनडीए सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्यसभा में आरक्षण बिल पारित होने की बधाई।  – जलकित पटेल

नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, जीएसटी बिल और अब आरक्षण विधेयक। विपक्ष खुद की ही चुटकी ले रहा है। राफेल पर झूठ फैलाने में खर्च किया सारा धन बेकार गया। – वास

गजब था। एक दिन में तो ट्रेन का आरक्षण भी कंफर्म नहीं होता। यहां तो पूरा आरक्षण बिल पास हो गया। गोलमाल है भई सब गोलमाल है। – टिप्पानिया

उन नाकाम बच्चों का तो डायलॉग ही छीन लिया मोदी ने….अगर आरक्षण नहीं होता तो मैं कलेक्टर बन जाता। – कुमार आलोक

मंडल कमीशन के सुझाव को लागू करने की आई याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक रूप से गरीब सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने के कदम से नब्बे के दशक में मंडल कमीश की रिपोर्ट को लागू करने की याद आ गई। 1978 में शोषित जातियों को आरक्षण पर विचार के लिए मंडल आयोग का गठन किया गया था। इसने ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की थी। 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने सरकारी नौकरियों में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने का एलान किया था। इसके विरोध में देशभर में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे। सवर्ण जातियों के युवा सड़क पर उतर आए. आरक्षण विरोधी आंदोलन के नेता बने राजीव गोस्वामी ने आत्मदाह कर लिया। हालांकि मोदी सरकार के सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने के कदम का अभी तक कोई खास विरोध नहीं देखा गया।

फिर भी चुनाव हार गए थे वीपी सिंह

आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गरीब सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के कदम को प्रधानमंत्री मोदी का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है लेकिन 29 साल पहले तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के बावजूद चुनाव हार गए थे।

सामान्य वर्ग नेता ने ओबीसी को दिया आरक्षण तो ओबीसी नेता ने सामान्य वर्ग को दिया तोहफा

ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण को तोहफा देने वाले वीपी सिंह सामान्य वर्ग से आते थे तो सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने वाले नरेंद्र मोदी ओबीसी वर्ग से आते हैं। इस तरह से समय का एक चक्र पूरा हो गया।

साभार- अमर उजाला