हमारे खिलाफ़ ज़ंग हुई तो हम अकेले नहीं हैं- ईरान

   

लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने ईरान को क्षेत्र का सबसे प्रभावी देश बताते हुए कहा है कि ईरान संसार के उन गिने चुने देशों में से एक है जो अपने राष्ट्रीय फ़ैसले करने में स्वाधीन है।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने बुधवार की रात बैरूत में “चालीस बहारें” शीर्षक के अंतर्गत ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम को वीडियो काॅंन्फ़्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने हालिया वर्षों में ईरान को संसार के सबसे प्रभावी तेरह देशों में से एक बताया है जबकि कुछ अन्य ने उसे संसार का सबसे प्रभावी नवां देश क़रार दिया है।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने ईरान की क्रांति को इस्लामी, जनता, मान्यताओं और आस्थाओं पर आधारित एक क्रांति बताया और कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति की एक अहम विशेषता, इस देश की जनता का प्रतिरोध और अत्याचार व अन्याय के मुक़ाबले में डट जाना है।

उन्होंने ईरान से अमरीका व उसके घटकों की दुश्मनी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि ईरान अपनी स्वाधीनता और इसी तरह अत्याचारग्रस्त व पिछड़े लोगों व फ़िलिस्तीन समस्या के समर्थन के कारण अमरीका की दुश्मनी और उसके प्रतिबंधों का पात्र बन रहा है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, सैयद हसन नसरुल्लाह ने प्रतिरोध के मोर्चे को, क्षेत्र का सबसे शक्तिशाली मोर्चा बताया और इस बात का उल्लेख करते हुए कि काफ़ी समय पहले ही ईरान के ख़िलाफ़ अमरीका व इस्राईल की ओर से युद्ध शुरू करने की संभावना समाप्त हो चुकी है, कहा कि अगर ईरान के ख़िलाफ़ कोई युद्ध शुरू होता है तो ईरान, अकेला नहीं रहेगा।

उन्होंने क्षेत्र की रुढ़िवादी अरब सरकारों से भी मांग की कि वे ईरान से दुश्मनी छोड़ दें और जान लें कि ईरान इस्लामी एकता के अलावा, अरब व इस्लामी देशों और वहां की जनता से कुछ नहीं चाहता।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने ईरान को क्षेत्र का सबसे सशक्त देश व पड़ोसियों का दोस्त व भाई बताया और अरब देशों को नसीहत की कि वे ईरान की ओर लौट आएं क्योंकि उसने आरंभ से ही उनकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रखा है।