हिंदू युवती से शादी करने वाले मुस्लिम शख्स ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, अब इस्लाम अपनाने का इरादा नहीं

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हिंदू धर्म अपनाकर हिंदू लड़की से शादी करने वाले मुस्लिम शख्स ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसका धर्म परिवर्तन छलावा नहीं था। इस मुस्लिम शख्स ने कहा है कि वह आजीवन हिंदू ही रहेगा और फिर से मुस्लिम धर्म को अपनाने का उसका कोई इरादा नहीं है।

35 वर्षीय छत्तीसगढ़ के इस शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उसे हिंदू धर्म से लगाव है। उसने अपनी मर्जी से हिंदू धर्म को अपनाया है। उसने यह सब कानून द्वारा तय किए गए नियमों के तहत किया है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस शख्स को नेकचलनी साबित करने के लिए कहा था जिससे कि यह साबित हो कि हिंदू धर्म को अपनाना कोई ढकोसला तो नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि हम सिर्फ युवक-युवती के हितों को संरक्षण देना चाहते हैं और सुनिश्चित होना चाहते हैं कि नीयत साफ होनी चाहिए। खासकर हमें लड़की के भविष्य को लेकर ध्यान देना है।

हलफनामे में इस शख्स ने कहा है कि साल 2014 में वह युवती (अब पत्नी) से रायपुर के कॉलेज में मिला था। वहां उनके बीच दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। काफी समय तक एक दूसरे को जानने-समझने के बाद हमने साल 2018 में शादी करने का निर्णय लिया।

25 फरवरी, 2018 को दोनों आर्य समाज मंदिर गए जहां शुद्धिकरण कार्यक्रम हुआ और मैंने हिंदू धर्म को अपना लिया। हिंदू धर्म में परिवर्तित होने के बाद उसी दिन हम दोनों ने मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली। सप्तपदी और सात फेरे आदि भी हुए थे।

इस शख्स ने हलफनामे में कहा है कि धर्म परिवर्तन के बाद से वह हिंदुत्व को पालन कर रहा है। उसने कहा है कि उसने फिर से इस्लाम धर्म को नहीं अपनाया है और न ही ऐसा करने का इसका कोई इरादा ही है। वह आजीवन अपनी पत्नी केसाथ रहना चाहता है। उसने यह भी कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए प्रतिबद्ध है। वह व उसके परिवारवाले, पत्नी की जरूरतों को पूरी करने के लिए सक्षम है।

मालूम हो कि युवती के पिता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें पति को पत्नी के साथ रहने की इजाजत दी थी। पिता का कहना है कि युवक ने हिंदू धर्म अपनाकर शादी की लेकिन बाद में उसने वापस इस्लाम अपना लिया। इससे पहले गत वर्ष 27 अगस्त को युवती की मर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे अपने माता-पिता के पास रहने की इजाजत दे दी थी।

मां-बाप के रहने के दौरान पुलिस एक दिन उसके घर पहुंची और युवती को अपने साथ ले गई। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अंतरजातीय व अंतरधर्म विवाह के विरूद्ध नहीं हैं क्योंकि इस तरह के संबंजों से समाजवाद को बढ़ावा मिलता है। कोर्ट ने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है कि इससे जात-पात की दीवार खत्म हो जाएगी।