हिन्दी कविताओं में उर्दू जैसा दम नहीं- मार्कंडेय काटजू

   

अपने बयानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। काटजू इस बार हिंदी कविता पर की गई टिप्पणी को लेकर सुर्खियों में हैं।

पूर्व जज ने ट्वीट किया कि आधुनिक हिंदी कविता में उर्दू जैसा दम नहीं है। वहीं उन्होंने ये भी पूछा है कि उर्दू विदेशी भाषा है या भारतीय। काटजू ने इस ट्वीट में कुमार विश्वास और जावेद अख्तर को भी टैग किया।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, काटजू ने लिखा, अगर ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ को ‘शीश कटाने की इच्छा अब हमारे हृद्य में है’ लिखा जाता तो कैसा लगता।

काटजू ने आगे लिखा कि अगर ‘बोल के लब आजाद हैं तेरे, बोल जुबान अब तक तेरी है’ को कहो कि ‘हमारे होंठ स्वतंत्र हैं, कहो कि तुम्हारी जीभ अभी तक तुम्हारी है’ लिखा जाता तो कैसा लगता।

पूर्व जज के ट्वीट का जवाब देते हुए कुमार विश्वास ने लिखा, “हिंदी-कविता की “शक्तिमत्ता” से आपके अपरिचित रह जाने के पीछे, मेरा कोई योगदान नहीं है ! यह आपके निजी अज्ञान, आत्ममुग्धता व अशिक्षा के कारण है ! कृपया बार-बार मुझे “टैग” करके अपनी अहमन्य-कुंठा की निरर्थक उलूक-ध्वनि न करें ! ईश्वर आपको यथाशीघ्र स्वस्थ करे व आपका “न्याय” करे।”