नई दिल्ली, 3 अप्रैल । चुनाव आयोग ने शनिवार को एक ताजा आदेश में भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा को असम विधानसभा चुनाव में प्रचार करने पर प्रतिबंध की अवधि घटाकर 24 घंटे करके बड़ी राहत दी। इस पर कांग्रेस ने आयोग की निंदा करते हुए इसे संसदीय लोकतंत्र में एक काला दिन करार दिया। पार्टी ने कहा कि आयोग के पास खुद के आदेश को बरकरार रखने की हिम्मत नहीं है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सिलसिलेवार ट्वीट लिखते हुए कहा, संसदीय लोकतंत्र में एक काला दिन। आयोग के पास अपने ही आदेश को बरकरार रखने की भी हिम्मत तक नहीं है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के दबाव में काम कर है। इस पाप के लिए इतिहास न तो चुनाव आयोग और न ही भाजपा को क्षमा करेगा।
सुरजेवाला ने कहा, क्या निर्वाचन आयोग बताएगा कि क्या यह उलट-फेर स्वत:संज्ञान लेते हुए किया गया है या भाजपा/हिमंत बिस्व सरमा की ताजा याचिका पर फैसला लिया गया? यदि हां, तो चुनाव आयोग ने शिकायतकर्ता – बीपीएफ और कांग्रेस को क्यों नहीं बुलाया? अगर नहीं, तो यह अफसोसनाक हृदय-परिवर्तन क्यों?
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी एक ट्वीट में आयोग की खिंचाई करते हुए कहा, हिमंत बिस्व सरमा पर प्रतिबंध में ढील देकर चुनाव आयोग ने खुद सबूत दे दिया है कि वे भाजपा के लिए चुनाव तय करने में शामिल हैं। चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि अचानक हृदय-परिवर्तन क्यों? भाजपा में वह कौन है, जिसने उन्हें धमकाया है? चुनाव आयोग बेशर्मी से लोकतंत्र का अपहरण कर भाजपा का सह-षड्यंत्रकारी बन रहा है।
चुनाव आयोग ने सरमा के उस अनुरोध पर प्रतिबंध की अवधि घटा दी जिसमें उन्होंने दलील दी थी कि उनके क्षेत्र में 6 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं। सरमा ने कहा है, भविष्य में एमसीसी (आदर्श आचार संहिता) का पालन करने का मेरा पछतावा और आश्वासन स्वीकार करें और प्रचार अभियान पर प्रतिबंध की अवधि 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे कर दी जाए।
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