शिमला, 5 जून । हिमाचल प्रदेश की सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग करने की पहल के तहत 190 किलोमीटर सड़कों को बनाने के लिए हर साल लगभग 60 टन प्लास्टिक कचरा जमा किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव (पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी), के.के. पंत ने राज्यस्तरीय वर्चुअल विश्व पर्यावरण दिवस समारोह में कहा कि राज्य ने पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन के लिए कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है।
साथ ही पंत ने कहा कि राज्य में प्लास्टिक के कप, प्लेट, गिलास आदि पर 2011 से प्रतिबंध लगा हुआ है। थर्मोकोल से बनी वस्तुओं जैसे कप और प्लेट पर 2018 में प्रतिबंध लगा दिया गया था।
पंत ने कहा कि प्लास्टिक कचरा पॉलीथीन हटाओ पर्यावरण बचाओ अभियान के माध्यम से एकत्र किया जा रहा है और इसका उपयोग सड़क निर्माण और सीमेंट उद्योग में ईंधन के रूप में किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे से उत्पन्न होने वाली समस्या से निपटने के लिए राज्य ने गैर-रिसाइकल योग्य प्लास्टिक कचरे को 75 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदने के लिए एक बायबैक नीति शुरू की है। योजना के तहत 87 लाख रुपये खर्च कर 135,600 किलोग्राम प्लास्टिक खरीदा गया है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रबंधन को मजबूत करने के लिए कई शोध परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
साथ ही, आईआईटी मंडी की मदद से भूस्खलन के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित की गई है। पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा एक वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली भी विकसित की गई है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव ने जीआईजेड के तकनीकी सहयोग से विभाग द्वारा तैयार कुल्लू जिले का एक पायलट अध्ययन जलवायु जोखिम आकलन रिपोर्ट जारी की।
इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहीं आरुषि ठाकुर की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई।
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