हैदराबाद के निजाम के वंशज ब्रिटेन के एक बैंक में पड़ी साढ़े तीन करोड़ पाउंड की राशि के संबंध में अदालती फैसले को चुनौती देने के लिए बुधवार को फिर से लंदन स्थित उच्च न्यायालय पहुंचे।
लंदन स्थित रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश मार्क्स स्मिथ ने पिछले साल भारत और 1947 में देश के बंटवारे के समय हैदराबाद के सातवें निजाम से संबंधित धन को लेकर दशकों से चले आ रहे कानूनी विवाद में पाकिस्तान के साथ गोपनीय समझौता करने वाले हैदराबाद के नाम मात्र के आठवें निजाम और उसके भाई के पक्ष में निर्णय दिया था।
हालांकि, निजाम के अन्य वंशज नजफ अली खान ने सातवें निजाम के 116 उत्तराधिकारियों की तरफ से इस सप्ताह इस निर्णय को चुनौती देने की बात कही और सातवें निजाम के प्रशासक पर ‘‘विश्वासघात’’ का आरोप लगाया।
खान ने अदालत से कहा कि भारत और दो शहजादों-मुकर्रम जाह तथा उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह को अनुचित रूप से धन जारी किया गया। उन्होंने खुद के वित्तीय संकट में होने का भी दावा किया।
न्यायाधीश स्मिथ ने मामले को फिर से खोलने के नजफ अली खान के प्रयास को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मैंने 2019 में अपने निर्णय में उस धन का लाभ स्वामित्व तय किया था…यह स्वीकार करना असंभव है कि उन्हें मामले को फिर से खोलने का अधिकार दिया जा सकता है।’’
न्यायाधीश हालांकि, सातवें निजाम के प्रशासक पर लगाए गए विश्वासघात के आरोपों पर बुधवार और बृहस्पतिवार को सुनवाई जारी रखेंगे।
भाषा