नई दिल्ली : अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय में नियमित सुनवाई जारी है। हिंदू पक्ष से निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्ष से सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित स्थल पर स्वामित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि जन्मस्थान के लिए अदालत में याचिका दाखिल नहीं हो सकती. जन्मस्थान कोई कानूनी व्यक्ति नहीं है. नदियों, पहाड़ों, कुओं के लिए प्रार्थना की जाती है और यह एक वैदिक अभ्यास है. अगर कल को चीन मानसरोवर में जाने से मना कर देता है तो क्या कोई पूजा के अधिकार का दावा कर सकता है? मुस्लिम पक्ष की तरफ से सबसे पहले वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने बहस की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मस्जिद होने की बात मानी थी। 1885 और1949 में दायर अपनी याचिकाओं में उसने मस्जिद का जिक्र किया था।मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष जिलानी ने कहा, 1885 में निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसमें विवादित जमीन की पश्चिमी सीमा पर एक मस्जिद होने की बात कही गई थी।
यह हिस्सा अब विवादित स्थल के भीतरी आंगन के नाम से जाना जाता है। निर्मोही अखाड़े ने 1942 के अपने मुकदमे में भी मस्जिद का जिक्र किया था। उसने तीन गुंबद वाले ढांचे को मस्जिद के रूप में स्वीकार किया था। जिलानी ने कहा कि वह दस्तावेजों के जरिए यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि 1934 से 1949 के बीच बाबरी मस्जिद में नियमित रूप से नमाज अदा होती थी। यही नहीं, जुमे की नमाज में अच्छी-खासी भीड़ भी जुटती थी। हिंदू पक्ष की ओर से उच्चतम न्यायालय में जिरह के दौरान यह दलील दी गई थी कि 1934 के बाद विवादित स्थल पर नमाज नहीं पढ़ी गई। भोजनावकाश के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बहस शुरू की। उन्होंने कहा कि पहले हिंदू बाहर के अहाते में पूजा करते थे। 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्ति गलत तरीके से मस्जिद के अंदर रखी गई। धवन ने जन्मस्थान को कानूनी व्यक्ति कहे जाने की दलील पर सवाल उठाए।
जज ने पूछा, काबा स्वयंभू है या किसी व्यक्ति ने बनाया?
धवन ने कहा कि स्वयंभू की धारणा ये है कि ईश्वर खुद को प्रकट करता है। कोई पर्वत या मानसरोवर से यह साबित नहीं होता कि इस तरह के स्वयंभू ईश्वर स्वरूपों का कोई कानूनी व्यक्ति ही हो। जस्टिस बोबड़े ने पूछा, कानूनी व्यक्ति और स्थान की दिव्यता के मामले में काबा स्वयंभू है या किसी व्यक्ति ने बनाया है? इसके जवाब में मुस्लिम पक्ष के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि इस पवित्र स्थल को पैगंबर इब्राहिम ने बनाया था। वहीं, धवन ने कहा कि काबा में जो भी स्वरूप है, उसमें दिव्यता अंतरनिहित है। मामले की सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी।