महाभियोग का फंदा : ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू

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अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है और उन्हें गहरा झटका लगा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पलोसी द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा के बाद डेमोक्रेट्स ने औपचारिक तौर पर इसकी तैयारी शुरू कर दी। ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पर दबाव बनाया कि वह उनके डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू करें। पूर्व उप राष्ट्रपति जो बाइडन 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। ट्रंप ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है, हालांकि इतना माना है कि अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी के बारे में यूक्रेन के राष्ट्रपति से चर्चा उन्होंने की थी।

इससे पहले अमेरिका के इतिहास में केवल दो राष्ट्रपतियों एंड्रयू जॉनसन और बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई हो चुकी है पर इनकी कुर्सी नहीं गई। रिचर्ड निक्सन के खिलाफ भी महाभियोग की नौबत आई थी, लेकिन उसके पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ट्रंप की सत्ता भी फिलहाल सुरक्षित रहेगी क्योंकि महाभियोग की प्रक्रिया निचले सदन में पूरी भी हो जाती है तो रिपब्लिकन बहुमत वाली सीनेट से उसका पास होना मुश्किल है। ट्रंप एक ही सूरत में हट सकते हैं, जब कम से कम 20 रिपब्लिकन सांसद उनके खिलाफ विद्रोह का झंडा उठा लें। फिलहाल इसकी गुंजाइश कम ही है। उलटे कहा यह जा रहा है कि महाभियोग का प्रस्ताव रिपब्लिकन्स को एकजुट कर देगा।

खुद ट्रंप ने भी कहा है कि यह फैसला उनके लिए सकारात्मक है। वैसे अमेरिका में उनकी लोकप्रियता में कमी आई है। कुछ ही दिनों पहले आए एक सर्वे में कहा गया है कि 52 फीसदी अमेरिकी वोटर्स उनके खिलाफ वोट कर सकते हैं। ऐसे में संभवत: ट्रंप को उम्मीद है कि उन्हें सियासी तौर पर घेरे जाने से उनके वे समर्थक भी वापस उनके पक्ष में आ सकते हैं जो उनसे असंतुष्ट चल रहे थे। जो भी हो, इस घटनाक्रम से एक राजनेता के रूप में ट्रंप की छवि को धक्का लगा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी साख और कमजोर हुई है। वे जब से आए हैं, तभी से उनका अपने देश में और बाहर विरोध होता रहा है। अपने बयानों और कई पहलकदमियों की वजह से वे लगातार विवाद में रहे हैं।

वाशिंगटन पोस्ट द्वारा जारी फैक्ट चेकर नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप अपने कार्यकाल में दस हजार झूठ बोल चुके हैं। कई फैसले ट्रंप ने ऐसे किए जिन पर उनके मित्र देशों को भी ऐतराज रहा है। जैसे ईरान से संधि तोड़ना और पैरिस जलवायु समझौते से पीछे हटना। चीन से ट्रेड वॉर को लेकर उनके कई प्रशासनिक सहयोगी ही उनसे असहमत रहे हैं। संभव है, सियासी गणित में ट्रंप बाजी मार ले जाएं लेकिन राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग आना अमेरिकी लोकतंत्र के लिए कोई शुभ संकेत नहीं है। यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र के किसी अंदरूनी संकट की ओर इशारा कर रहा है।

साभार : NBT