यूरोपीय संघ (EU) और तुर्की (Turky) के बीच रिश्तों में खटास आ गई है. दरअसल यूरोपीय संघ और तुर्की के बीच साल 2016 में सीमित प्रवास को लेकर हुई शरणार्थी संधि अब ‘खत्म’ हो चुकी है. यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मितसोताकिस ने शुक्रवार को ये बात कही. तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोग़ान (Recep Tayyip Erdogan) ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि वो अब किसी भी देश के शरणार्थी को नहीं रोकेंगे. उनके इस इस ऐलान के साथ ही बॉर्डर पर शरणार्थियों की भीड़ लग गई है. हर कोई भाग कर यूरोप जाना चाहता है.
एर्दोग़ान का तर्क है कि सीरिया में लड़ाई के चलते हज़ारों की संख्या में लोग उनके यहां भाग कर आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि लड़ाई के चलते दिसंबर से लेकर अब तक तुर्की के बॉर्डर पर करीब 10 लाख लोग जमा हो गए हैं. सीरिया के इदलिब में सरकार विरोधी गुट और वहां की सरकार के बीच लगातार एक दूसरे पर हमले हो रहे हैं. बता दें कि तुर्की में पहले से ही सीरिया के करीब 37 लाख शरणार्थी हैं. इसके अलावा यहां अफगानिस्तान के लोग भी हैं.
क्या था समझौता?
साल 2016 में तुर्की ने यूरोपीय संघ के साथ छह अरब यूरो के बदले शरणार्थियों के पलायन को रोकने के लिए सहमति व्यक्त की थी. दरअसल साल 2015 में यूरोपियन यूनियन ने कहा था उनके यहां करीब 10 लाख शरणार्थी पहुंच गए हैं. यहां पहुंचने की कोशिश में कई लोगों की मौत भी हो गई थी. इसके बाद यूरोपियन यूनियन ने तुर्की के साथ इन्हें रोकने की डील की थी.