2 भारतीय पनबिजली संयंत्रों पर पाकिस्तान की आपत्ति

   

इस्लामाबाद, 20 मार्च । पाकिस्तान अगले सप्ताह नई दिल्ली में स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की आगामी बैठक के दौरान भारत के पकाल डल और लोअर कलनई पनबिजली संयंत्रों के डिजाइन पर आपत्तियां दर्ज कराएगा।

पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जाहिद चौधरी ने शुक्रवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान यह घोषणा की।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 23-24 मार्च को बैठक के दौरान दोनों जलविद्युत संयंत्रों पर आपत्तियों सहित सिंधु जल संधि के तहत कई मुद्दों पर चर्चा करेगा।

सिंधु जल आयुक्त मेहर अली शाह पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि संबंधित विभागों के अधिकारी उनके साथ होंगे।

बैठक सिंधु जल संधि 1960 के एक प्रावधान का हिस्सा है, जिसके तहत स्थायी सिंधु आयोग की वर्ष में कम से कम एक बार बैठक आवश्यक है।

यह 1960 संधि के तहत आने वाले पानी से संबंधित मुद्दों पर अनुसूचित चर्चा के साथ आयोग का 116वां सत्र होगा।

पाकिस्तान भारत द्वारा दो पनबिजली संयंत्रों के निर्माण पर अपने तर्क और आपत्तियों को आगे रखता रहा है, यह दावा करते हुए कि यह देश के पानी को अवरुद्ध करने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तान का कहना है कि संयंत्रों का निर्माण सिंधु जल संधि का उल्लंघन है। उसने भारत से निर्माण को रोकने और इस्लामाबाद को पानी का उचित हिस्सा देने का आग्रह भी किया है।

चौधरी ने कहा, पाकिस्तान ने हमेशा भारत के साथ विवादित सभी मुद्दों पर शांतिपूर्ण बातचीत और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर का मुख्य मुद्दा भी शामिल है।

सार्थक इस्लामाबाद-नई दिल्ली संवाद पर भारतीय विदेश सचिव के हालिया बयान का उल्लेख करते हुए चौधरी ने कहा कि इस तरह के बयान उन विवादों के समाधान में सहायक नहीं थे जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता के रास्ते में बाधा थे।

उन्होंने कहा, जम्मू और कश्मीर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवाद है और भारत और पाकिस्तान के बीच मूल मुद्दा है। पाकिस्तान ने हमेशा भारत के साथ सभी बकाया विवादों के एक सार्थक बातचीत और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन की पाकिस्तान की पहल, भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन को पकड़ने और बाद में छोड़ने के प्रकरण को क्षेत्र में स्थायी शांति की पाकिस्तान की इच्छा के संकेत के रूप में पेश किया।

उन्होंने कहा कि सार्थक वार्ता के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करने की जिम्मेदारी अब भारत पर है।

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